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Rajeev RRajeev R

भारत सरकार क्वांटम-क्रिप्टोग्राफी पर सक्रिय, साइबर सुरक्षा में बड़ा बदलाव

भारत सरकार पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी पर तेजी से काम कर रही है। क्वांटम कंप्यूटिंग के खतरे को देखते हुए डिजिटल और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।

भारत सरकार क्वांटम-क्रिप्टोग्राफी पर सक्रिय, साइबर सुरक्षा में बड़ा बदलाव
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भारत सरकार Post-Quantum Cryptography (PQC) पर सक्रिय रूप से काम कर रही है, ताकि भविष्य में उभरते क्वांटम कंप्यूटरों से होने वाले संभावित साइबर खतरों से डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित रखा जा सके। जिसका अर्थ है कि सरकार भविष्य-तैयार साइबर सुरक्षा तकनीकों को अपनाने में प्रगतिशील कदम उठा रही है। 

विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान पारंपरिक एन्क्रिप्शन प्रणालियाँ जैसे RSA और ECC को भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग के ज़रिये आसानी से तोड़ा जा सकता है। यही कारण है कि पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी विकसित की जा रही है, ताकि व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रहे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, बैंकिंग नेटवर्क, सरकारी डेटाबेस और रक्षा संचार को क्वांटम-प्रतिरोधी सुरक्षा प्रदान की जा सके।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत सरकार की रणनीति

भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) इस दिशा में एक प्रमुख पहल है, जिसकी शुरुआत 2023 में हुई थी और जिसका लक्ष्य है देश को क्वांटम तकनीकों के विकास में विश्व स्तर पर अग्रणी बनाना। इस मिशन के तहत सरकार ने क्वांटम-सुरक्षित साइबर सुरक्षा ढाँचा, प्रासंगिक अनुसंधान एवं विकास और पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल के मानकीकरण पर काम शुरू किया है।

निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स की भागीदारी

इसके अलावा, भारत के उच्च तकनीकी संस्थान और वैश्विक कंपनियां क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन तकनीकों के विकास में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। उदाहरण के लिए, IDEMIA Secure Transactions ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ साझेदारी की है ताकि पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी विकसित की जा सके, जिससे संवेदनशील डेटा को दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान की जा सके। 

एक और उल्लेखनीय विकास है QNu Labs द्वारा QShield नामक एक विश्व प्रथम क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन प्रबंधन प्लेटफॉर्म का निर्माण, जो क्लाउड और हाइब्रिड वातावरणों में डेटा सुरक्षा को सहजता से लागू करता है। यह प्लेटफ़ॉर्म पोस्ट-क्लासिकल कंप्यूटरों द्वारा संभावित हमलों के विरुद्ध प्रतिरोधी प्रोटोकॉल प्रदान करता है।

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टेलीकॉम और 5G नेटवर्क में क्वांटम सुरक्षा

टेलीकॉम् क्षेत्र, खासकर 5G जैसी अगली पीढ़ी की सेवाओं में, भारत के इंजीनियरों तथा वैश्विक भागीदारों द्वारा क्वांटम-प्रतिरोधी सुरक्षा समाधानों पर काम तेज हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की भूमिका 5G-गेजर और पोस्ट-क्वांटम रिसर्च तथा उत्पाद विकास में महत्वपूर्ण है, जिससे भविष्य की नेटवर्क सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, जैसे-जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग की क्षमता बढ़ेगी, यह सामान्य डिजिटल सुरक्षा प्रणालियों के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए समय रहते क्वांटम प्रतिरोधी प्रणालियों पर स्विच करने की सिफारिश की जा रही है, ताकि “Harvest Now, Decrypt Later” जैसी रणनीति से डेटा का दुरुपयोग न हो सके, जहाँ हम आज के डेटा को इकट्ठा कर भविष्य में क्वांटम मशीनों द्वारा तोड़ा जा सकता है।

रक्षा क्षेत्र में क्वांटम-सुरक्षित संचार

भारतीय सेना ने भी उल्लेख किया है कि उसने स्वदेशी पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी अनुप्रयोगों का विकास किया है, जो भविष्य में सैन्य संचार सुरक्षा को मज़बूत करेगा। यह कदम रक्षा संचार प्रणालियों को क्वांटम आधारित हमलों से सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।

विश्लेषकों का सुझाव है कि भारत को क्वांटम-सुरक्षित तकनीकों को अपनाने की दिशा में न केवल अनुसंधान आधारित पहल बल्कि व्यापक मानकीकरण और व्यावसायिक तैनाती पर जोर देना चाहिए। इसका अर्थ है उद्योग, शिक्षा संस्थानों, रक्षा और सरकार के बीच गहरा सहयोग ताकि न केवल तकनीकी विकास बल्कि क्वांटम सुरक्षित सूचना सुरक्षा रणनीति का व्यापक कार्यान्वयन भी देश में हो।

निष्कर्ष

भारत ने साइबर सुरक्षा के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम-सुरक्षित तकनीकों पर गति पकड़ ली है। राष्ट्रीय मिशनों, रक्षा अनुसंधान, और तकनीकी साझेदारी के माध्यम से यह कदम भारत को आने वाले क्वांटम युग में डिजिटल सुरक्षा में अग्रणी बनाएगा।

जैसे-जैसे साइबर खतरों की प्रकृति विकसित होती है, देश की यह तैयारी डिजिटल विश्वास, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को सुनिश्चित करेगी, वह भी एक ऐसे समय में जब क्वांटम कंप्यूटिंग वास्तविकता की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

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