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Rajeev RRajeev R

भारत के बड़े स्टॉक निवेशक अब क्रिप्टो की ओर बढ़ रहे हैं: Binance

Binance की को-सीईओ Yi He ने कहा कि भारत उनके लिए एक मेजर मार्केट बन चुका है। बड़े स्टॉक-मार्केट निवेशकों का क्रिप्टो में रुख भारत को वैश्विक क्रिप्टो हब की ओर ले जा रहा है।

भारत के बड़े स्टॉक निवेशक अब क्रिप्टो की ओर बढ़ रहे हैं: Binance
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दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक बाइनेंस की सह-संस्थापक और को-सीईओ यी हे (Yi He) ने एक भारतीय मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से बातचीत करते हुए कहा कि भारत उनके लिए “एक मेजर मार्केट” बन चुका है।

हे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में क्रिप्टो अपनाने की रफ्तार लगातार तेजी से बढ़ रही है। दिलचस्प बात यह है कि अब सिर्फ खुदरा निवेशक ही नहीं, बल्कि संस्थागत खिलाड़ी और परंपरागत शेयर-बाजार से जुड़े बड़े निवेशक भी डिजिटल संपत्तियों में गंभीर रुचि दिखा रहे हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, भारत की युवा, तकनीक प्रेमी और तेजी से डिजिटल हो रही आबादी क्रिप्टो सेक्टर के विस्तार के लिए बेहद उपयुक्त वातावरण तैयार करती है। कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स यह दर्शाती हैं कि 2025 में भारत वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो अपनाने के मामले में शीर्ष देशों में शामिल है।

Yi He ने स्पष्ट किया कि कंपनी भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए उत्सुक है और वह सरकार तथा नियामक संस्थाओं के साथ मिलकर एक सुरक्षित, पारदर्शी और अनुपालन-आधारित क्रिप्टो इकोसिस्टम तैयार करना चाहती है।

स्टॉक-मार्केट निवेशक क्यों बढ़ा रहे हैं क्रिप्टो में रुचि?

यी हे (Yi He) ने विशेष रूप से यह बात उजागर की कि बड़े स्टॉक मार्केट निवेशक अब पारंपरिक शेयरों के अलावा क्रिप्टो में भी निवेश करने लगे हैं। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टो अब केवल सट्टा तक सीमित नहीं रहा। इसे अब दीर्घकालिक निवेश जैसा माना जाने लगा है, जैसा कि कमोडिटी या इक्विटी को देखा जाता है।

विश्लेषकों के मुताबिक, संस्थागत निवेश आने से मार्केट में तरलता बढ़ सकती है, पंजीकृत एक्सचेंजों में रेगुलेशन अनुरूप कारोबार को बढ़ावा मिल सकता है और क्रिप्टो को वित्तीय ढाँचे जैसे बैंक, कस्टडी सर्विसेज़ तथा ऑन-चेन सेटलमेंट आदि के साथ जोड़ा जा सकता है।

Binance की भारत रणनीति: नेतृत्व परिवर्तन और विस्तार का संकेत

हाल ही में, बाइनेंस ने दो सदस्यीय नेतृत्व मॉडल अपनाया है। यी हे को को-सीईओ नियुक्त किया गया है और उनके साथ है रिचर्ड टेंग। हे, जो अब तक कंपनी की ग्राहक सेवा विभाग की प्रमुख थीं, अब उत्पाद, उपयोगकर्ता अनुभव रणनीतिक निवेश व वैश्विक विस्तार की जिम्मेदारी संभालेंगी।

उनका यह बदलाव बाइनेंस के लिए एक संकेत है कि अब कंपनी पारंपरिक वित्त और नियामकीय चुनौतियों के बीच टिकाऊ विकास व विस्तार की दिशा में आगे बढ़ रही है और भारत उसी रणनीति का एक अहम केंद्र है।

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भारत क्यों बन रहा है क्रिप्टो हब?

भारत की युवा, डिजिटल सक्षम आबादी और तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन, इंटरनेट उपयोग ने क्रिप्टो अपनाने को बढ़ावा दिया है। 2025 में प्रकाशित कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि भारत रिटेल, केंद्रीकृत सर्विसेज़, DeFi समेत कई मोर्चों पर वैश्विक क्रिप्टो अपनाने में शीर्ष देशों में है।

साथ ही, संस्थागत निवेश और वैधता का बढ़ना जैसे कि बड़े स्टॉक-मार्केट खिलाड़ी क्रिप्टो में आना विश्वास को मजबूत करता है। इन सबका नतीजा है कि भारत सिर्फ खुदरा निवेशकों का केंद्र नहीं रहा, बल्कि अब क्रिप्टो के लिए एक वयस्क और स्थिर बाज़ार बनकर उभर रहा है।

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

फिर भी चुनौतियाँ कम नहीं है। भारत में क्रिप्टो पर कर, TDS नियम और नियामकीय अस्पष्टता अभी भी कई निवेशकों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। बाइनेंस जैसी एक्सचेंजों के लिए यह आवश्यक होगा कि वे पूरी केवाईसी, एएमएल, सीएफटी प्रक्रिया अपनाएँ, डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम मजबूत रखें, ताकि भारत में दीर्घकालिक विश्वास और निवेश सुरक्षित बना रहे।

निष्कर्ष

भारत अब क्रिप्टो अपनाने के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, न केवल खुदरा निवेशकों की बदौलत, बल्कि बड़ी संस्थाओं और स्टॉक-मार्केट निवेशकों की भागीदारी से। बाइनेंस जैसे बड़े प्लेटफार्मों का भारत पर भरोसा और निवेश और विशेष रूप से Yi He का को-सीईओ बनकर भारत को महत्व देना इस बदलाव का प्रमाण है।

अगर भारत नियामकीय रूप से स्थिरता बनाए रखे और निवेशकों, एक्सचेंजों व सरकार के बीच तालमेल बना रहे, तो आने वाले वर्षों में यह देश न सिर्फ एशिया बल्कि दुनिया के बड़े क्रिप्टो हब में से एक बन सकता है।


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