राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े जारी किए हैं। इन ताज़ा अनुमानों के अनुसार, वास्तविक जीडीपी (स्थिर मूल्य 2011-12 पर) 7.8% की दर से बढ़ी है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 की इसी अवधि में यह वृद्धि दर 6.5% थी।
नोमीनल जीडीपी (वर्तमान कीमतों पर) 8.8% की दर से बढ़कर ₹86.05 लाख करोड़ हो गई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में ₹79.08 लाख करोड़ थी। यह संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद स्थिरता और मजबूती हासिल की है।
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र ने इस तिमाही में 3.7% की वृद्धि दर्ज की है, जो पिछले साल की इसी अवधि में दर्ज 1.5% की वृद्धि से कहीं अधिक है। बेहतर फसल उत्पादन, बागवानी और पशुपालन में सुधार ने इस क्षेत्र को गति दी।
विनिर्माण क्षेत्र ने 7.7% और निर्माण क्षेत्र ने 7.6% की मजबूत वृद्धि दर्ज की। औद्योगिक उत्पादन, सीमेंट, इस्पात और ऑटोमोबाइल की बढ़ी हुई खपत ने इस तेजी में योगदान दिया। हालांकि खनन एवं उत्खनन क्षेत्र में -3.1% की गिरावट देखी गई और बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य उपयोगिता सेवाओं में वृद्धि दर केवल 0.5% रही।
सेवाओं की ताकत
सेवा क्षेत्र ने 9.3% की उल्लेखनीय वृद्धि दर हासिल की है। यह पिछले वर्ष की समान तिमाही में दर्ज 6.8% से काफी अधिक है। रेलवे, हवाई यातायात, बंदरगाह गतिविधियों और वित्तीय सेवाओं के बेहतर प्रदर्शन ने इस वृद्धि को बल दिया।
वास्तविक निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) 7.0% की दर से बढ़ा, जो पिछले साल 8.3% की दर से अधिक था। यद्यपि वृद्धि दर थोड़ी कम हुई है, लेकिन शहरी और ग्रामीण उपभोग में संतुलित सुधार देखने को मिला।
सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (GFCE) ने इस बार दमदार वापसी की है। नाममात्र रूप में यह 9.7% की दर से बढ़ा, जबकि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में यह वृद्धि मात्र 4.0% थी। केंद्र और राज्य सरकारों के व्यय में बढ़ोतरी ने विकास को सहारा दिया।
सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) 7.8% की दर से बढ़ा, जो पिछले साल 6.7% था। इसका अर्थ है कि अवसंरचना और औद्योगिक निवेश में स्थायी सुधार हुआ है, जिससे भविष्य की विकास संभावनाएं मजबूत हुई हैं।
जीवीए का परिदृश्य
वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (GVA) ₹44.64 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के ₹41.47 लाख करोड़ से 7.6% अधिक है। वहीं, नाममात्र GVA 8.8% की दर से बढ़कर ₹78.25 लाख करोड़ हो गया।
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अनुमान की प्रक्रिया और आंकड़ों के स्रोत
एनएसओ ने बताया कि तिमाही जीडीपी अनुमान ‘बेंचमार्क-इंडिकेटर पद्धति’ से तैयार किए गए हैं। इसके तहत पिछली तिमाही के आंकड़ों को फसल उत्पादन, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, रेलवे व विमानन यातायात, बंदरगाहों पर कार्गो गतिविधि, जीएसटी संग्रह, बीमा प्रीमियम, बैंकिंग आंकड़ों और सरकारी वित्तीय रिपोर्टों जैसे प्रमुख संकेतकों से अद्यतन किया गया।
केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त व्यय और सब्सिडी संबंधी आंकड़े भी अनुमान तैयार करने में शामिल किए गए हैं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि आने वाले महीनों में डेटा कवरेज और स्रोत एजेंसियों के संशोधनों के आधार पर इन अनुमानों में बदलाव संभव है।
निष्कर्ष
वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ रही है। कृषि और सेवाओं ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र ने स्थिरता और निवेश को मजबूती दी है।
खनन और ऊर्जा क्षेत्र की सुस्ती और निजी खपत की थोड़ी धीमी रफ्तार चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन सरकारी व्यय और पूंजी निर्माण में तेजी ने विकास की गति को संतुलित रखा है।
स्पष्ट है कि आने वाले महीनों में यदि यह रफ्तार बरकरार रही, तो भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा बनाए रखेगा। अगली तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) के आंकड़े 28 नवंबर 2025 को जारी किए जाएंगे, जिनसे आर्थिक परिदृश्य और स्पष्ट होगा।