दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी अब सिर्फ निवेश या तकनीकी प्रयोग तक नहीं सीमित है। कई देशों ने क्रिप्टो को वित्तीय प्रणाली के हिस्से के रूप में स्थापित करने और उसे संवैधानिक और नियामक स्तर पर नियन्त्रित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। स्टेबलकॉइन, टोकनाइज़्ड रियल वर्ल्ड एसेट्स (RWA), क्रिप्टो माइनिंग, विभिन्न प्रकार की वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) की लाइसेंसिंग, और राज्य या सार्वजनिक भागीदारी वाले क्रिप्टो रिज़र्व जैसी अवधारणाएँ अब चर्चा में हैं।

किर्गिज़स्तान की संसद ने “आभासी संपत्तियों पर” (On Virtual Assets) नामक कानून में संशोधन कर एक स्टेट क्रिप्टो रिज़र्व और स्टेट माइनिंग की अवधारणाएँ पेश की हैं। इस विधेयक में यह तय है कि सरकार डिजिटल एसेट्स को विभिन्न माध्यमों से इकट्ठा करेगी — क्रिप्टो माइनिंग से, रियल-वर्ल्ड एसेट्स को टोकनाइज़ कर, और फ़िएट-बैक्ड स्थिरकॉइनों (stablecoins) के माध्यम से। 

लेकिन ऊर्जा खपत और माइनिंग से जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों की चिंताओं को देखते हुए विधेयक में निर्दिष्ट है कि राज्य भी माइनिंग टैरिफ देगी और थर्मल पावर प्लांटों को इस कार्य के लिए उपयोग नहीं करेगी। इसका उद्देश्य है देश की आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना, वित्तीय साधनों को विविध बनाना और राज्य को नए तरह के “संग्रह” उपकरण प्रदान करना।

क्या भारत किर्गिज़स्तान की राह पर है?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स की लोकप्रियता बढ़ रही है, खासकर निवेशकों और उत्साही समुदायों में। लेकिन सरकार ने अभी तक क्रिप्टो को पूरी तरह से कानूनन मान्यता नहीं दी है। नियम-नीति अभी अधूरे हैं। केंद्र सरकार ने 30% का कर लगाना शुरू किया है वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) की बिक्री-मुनाफे पर, साथ ही 1% TDS ट्रांज़ैक्शन्स पर जो कि $115 से अधिक हो।

क्या आप जानते हैं: भारत क्रिप्टो सुधारों की ओर निर्णायक क़दम बढ़ा रहा है

“COINS Act” नामक मॉडल लॉ प्रस्तावित किया गया है, जिसमें एक समर्पित क्रिप्टो एसेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (CARA) बनाने, उपयोगकर्ताओं की सूअ-कस्टडी, प्रोटोकॉल ऐक्सेस और वित्तीय गोपनीयता जैसे मूलभूत अधिकारों को सुरक्षित करने की बात की गई है।

भारत में क्रिप्टो की स्थिति और संभावनाएँ

भारत में वेब3 और क्रिप्टो स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं। नियमों की अस्पष्टता और कर बोझ कुछ गतिविधियों को सीमित करती है लेकिन प्रतिभा, डेवलपर नेटवर्क और निवेश की हवा अभी भी बनी हुई है। वेब3 स्टार्टअप्स, डेवलपर्स, NFT/DeFi प्रोजेक्ट्स बढ़ रहे हैं। भारत वैश्विक डेवलपर समुदाय में पहले स्थानों पर है।

यदि भारत “स्टेट क्रिप्टो रिज़र्व” की तरह की सोच अपनाए तो यह आर्थिक विविधीकरण, मुद्रा-भंडार के अलावा एक अतिरिक्त संसाधन हो सकता है। कर नीति में संभव सुधार और नियमों की स्थिरता से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, और भारत क्रिप्टो व वेब3 नवाचार में वैश्विक खिलाड़ी बन सकता है। डिजिटल अर्थव्यवस्थाएँ, अंतरराष्ट्रीय भुगतान और स्थिरकॉइन्स के अवसर खुलेंगे, विशेषकर उन लोगों के लिए जो क्रॉस-बॉर्डर ट्रांज़ैक्शन करते हैं।

निष्कर्ष

किर्गिज़स्तान का नया विधेयक यह दर्शाता है कि विश्व में कुछ देशों ने क्रिप्टो को सिर्फ निवेश के साधन के रूप में नहीं देखा, बल्कि सरकार की वित्तीय नीति और आर्थिक संरचना का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। भारत के पास इस मौके को भुनाने की क्षमता है: एक बड़ा क्रिप्टो-मार्केट, प्रतिभाशाली युवा, स्टार्टअप्स और बढ़ती टेक्नोलॉजी अपनाने की प्रवृत्ति।

लेकिन अगर भारत इस दिशा में कदम बढ़ाए, तो यह सुनिश्चित करना होगा कि नीति-निर्माता पारदर्शिता बनाएँ, सुरक्षा तंत्र मजबूत करें, करों की दर और नियामक भूमिका स्पष्ट हों, और राज्य-रिज़र्व जैसे संसाधन सावधानी पूर्वक विचार-विश्लेषण के बाद ही अपनाए जाएँ। इससे भारत न सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी को प्रबंधित कर सकेगा बल्कि इस क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकेगा।

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