भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) डॉक्टर वी अनंथा नागेश्वरन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में आगाह किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50% टैरिफ से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर में लगभग 0.5% से 0.6% तक की कमी हो सकती है। वित्त वर्ष 2025-26 में यह प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर यदि यह नीतिगत प्रतिबंध बनी रहती है।

यह 50% टैरिफ दो चरणों में लागू किया गया है — पहले अगस्त की शुरुआत में 25% "पुनरावृत्ति शुल्क" लगाया गया था, और बाद में अतिरिक्त 25% जुर्माना लगाया गया, जो विशेष रूप से रूस से भारत की तेल खरीद को लेकर है।

नागेश्वरन ने आशा व्यक्त की है कि यह अतिरिक्त “दंडात्मक शुल्क” दीर्घकालीन नहीं रहेगा: "मुझे उम्मीद है कि यह अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ अल्पकालिक ही रहेगा... यदि यह अगले वित्त वर्ष तक जारी रहता है, तो यह नौकरियों और GDP विकास के लिए एक बड़ा चुनौती बनेगा।"

प्रभावित क्षेत्र और सरकार की प्रतिक्रिया

ट्रम्प प्रशासन के ये टैरिफ भारत के प्रमुख श्रम-गहन निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित कर रहे हैं — इनमें वस्त्र, आभूषण, चमड़े के उत्पाद और समुद्री खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता गिरने से उत्पादन केंद्र जैसे कि तिरुपुर, सूरत और नोएडा में असर देखा जा रहा है।

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मोदी सरकार ने इससे बचाव के लिए राहत पैकेज और घरेलू सुधारों के संकेत दिए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार प्रभावित निर्यातकों को लक्षित सहायता प्रदान करेगी—जिसमें क्रेडिट गारंटी, ऋण प्राथमिकता और निर्यात बाजारों में विविधता लाना शामिल है। साथ ही, सरकार ने GST में कटौती की है ताकि घरेलू मांग को सुदृढ़ किया जा सके और विकास की गति बनी रहे।

वित्तीय संस्थानों का दृष्टिकोण

दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। मूडीज़ ने चेतावनी दी है कि उच्च टैरिफ भारत के निर्माण और आर्थिक विस्तार को बाधित कर सकते हैं, संभावित रूप से GDP वृद्धि में 0.3 प्रतिशत अंक की गिरावट ला सकते हैं। वहीं, फिच रेटिंग्स ने कहा है कि जबकि टैरिफ का असर सीमित रहेगा, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत और स्थिर बनी रहेगी; उसने भारत की ‘BBB-’ रेटिंग को बनाए रखा है।

वैश्विक व्यापार पर राजनीतिक दृष्टिकोण

यह टैरिफ भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव का परिणाम हैं, जिसने इस जोड़ी की रणनीतिक साझेदारी को झकझोर दिया है। भारत ने इसे “अनुचित” और “पूर्णतया एकतरफा” कदम करार देते हुए अपनी विदेश नीति की रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा पर जोर दिया है।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में चल रही बढ़ती गड़बड़ियों और टैरिफ युद्धों के बीच, भारत की अर्थव्यवस्था को तत्काल और दीर्घकालीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार का आंकलन स्पष्ट करता है कि यदि अमेरिकी 50% टैरिफ स्थायी बना रहता है, तो यह केवल इस वित्त वर्ष ही नहीं, बल्कि अगले वित्त वर्ष में भी GDP की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

भारत सरकार ने राहत पैकेज, GST में सुधार और निर्यात बाजारों में विविधता लाने जैसे उपायों की रूपरेखा बनाई है, लेकिन निर्यातक उद्योगों के लिए यह दौर कठिन रहेगा। वैश्विक प्रतिस्पर्धा और तेज राजनीतिक बदलावों के बीच, भारत को आर्थिक सहनशीलता और नीति प्रबंधन के माध्यम से विकास की गति बनाए रखने का संघर्ष जारी रखना होगा।

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