अमेरिकी न्याय विभाग (Department of Justice - DOJ) के अनुरोध पर भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)  ने एक दिवंगत भारतीय नागरिक पूनम जायसवाल के क्रिप्टो एसेट्स को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। यह कार्रवाई फ्लोरिडा में हुए एक बैंक प्रतिरूपण घोटाले से जुड़ी है, जिसमें 1.22 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹1.02 करोड़) की धोखाधड़ी की गई थी।

जानकारी के अनुसार, फ्लोरिडा की हर्नांडो काउंटी की पांचवीं न्यायिक सर्किट अदालत ने अक्टूबर 2023 में एक सर्च वारंट जारी किया था, जिसके आधार पर अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत सरकार से इस मामले में सहायता मांगी थी। भारत-अमेरिका के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत, यह अनुरोध गृह मंत्रालय (MHA)  के माध्यम से सीबीआई को जनवरी 2024 में भेजा गया।

सीबीआई ने जून में प्रारंभिक जांच शुरू की थी। अब जांच पूरी होने के बाद, एजेंसी ने पूनम जायसवाल के वज़ीरएक्स (WazirX) नामक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज में मौजूद खाते से जुड़े क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को जब्त करने की प्रक्रिया आरंभ की है।

क्रिप्टो पोर्टफोलियो में बिटकॉइन और एथेरियम शामिल

एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी ने बताया कि जायसवाल के खाते में 7.83 एथेरियम, 0.26 बिटकॉइन और लगभग 8.7 लाख रुपये भारतीय मुद्रा मौजूद हैं। जांच एजेंसी के अनुरोध पर वज़ीरएक्स एक्सचेंज ने इन एसेट्स को पहले ही अस्थायी रूप से फ्रीज़ कर दिया है।

अधिकारी के अनुसार,

अब इन संपत्तियों को औपचारिक रूप से जब्त करने की कार्यवाही शुरू की गई है ताकि अपराध की आमदनी का उपयोग कोई अन्य व्यक्ति न कर सके।

अमेरिकी एजेंसियां जिस मामले की जांच कर रही हैं, उसमें फ्लोरिडा के एक बैंक के नाम पर फर्जी पहचान बनाकर ग्राहकों से पैसे हड़पने की साजिश की गई थी। जांच में सामने आया कि $122,000  की यह रकम भारत के वज़ीरएक्स एक्सचेंज पर मौजूद पूनम जायसवाल के खाते में ट्रांसफर की गई थी।

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हालांकि, जायसवाल अब दिवंगत हैं, फिर भी अमेरिकी अदालत ने आदेश दिया है कि अपराध से अर्जित धन की जब्ती की जाए। सीबीआई ने इसी आदेश और एमएलएटी अनुरोध के तहत कार्रवाई आरंभ की है।

क्रिप्टो फ्रॉड पर बढ़ा एजेंसियों का फोकस

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED)  ने हाल के वर्षों में साइबर अपराधों और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है, जिनमें क्रिप्टो वॉलेट्स और डिजिटल करेंसी का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है।

ईडी के अनुसार, कई ठग निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर फर्जी प्लेटफ़ॉर्म बनाकर धोखा देते हैं। वे उच्च रिटर्न का झांसा देकर, नकली वेबसाइट या मोबाइल ऐप्स के जरिए लोगों से बड़ी रकम ऐंठ लेते हैं। कई मामलों में, मशहूर क्रिप्टो विशेषज्ञों के नाम या तस्वीरों का दुरुपयोग भी किया जाता है ताकि लोगों का भरोसा जीता जा सके।

ईडी (Enforcement Directorate) वर्तमान में 162 साइबर अपराध और क्रिप्टो धोखाधड़ी के मामलों की जांच कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना बेहद आवश्यक है, क्योंकि डिजिटल मुद्रा की सीमा-पार प्रकृति अपराधियों को आसानी से छिपने का अवसर देती है।

निष्कर्ष

पूनम जायसवाल मामले में सीबीआई की यह कार्रवाई न केवल भारत-अमेरिका के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत की जांच एजेंसियां अब क्रिप्टोकरेंसी आधारित वित्तीय अपराधों को लेकर अधिक सतर्क और संगठित हो रही हैं। यह कदम भविष्य में डिजिटल धोखाधड़ी पर नकेल कसने और पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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