दुनिया भर में तेजी से फैल रहे digital वित्तीय अपराधों के बीच, crypto currency एक्सचेंज अब अवैध धन को अंतरराष्ट्रीय चैनलों के माध्यम से भेजने का नया जरिया बनते जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों के संघ ICIJ और Indian Express की विस्तृत वैश्विक जांच, जिसे ‘The Coin Laundry’ कहा गया है, ने इस नेटवर्क को पहली बार बड़े पैमाने पर उजागर किया है।

पिछले 10 महीनों में 38 देशों के 113 पत्रकारों ने यह पता लगाया कि कैसे क्रिप्टो एक्सचेंज सीमाओं के पार अपराधियों के लिए अवैध धन ट्रांसफर का आसान और तेज़ माध्यम बन गए हैं।

भारत के हिस्से की जांच में गंभीर खुलासे हुए हैं, जिनसे साफ होता है कि साइबर अपराधियों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को यहां के कई क्रिप्टो प्लेटफॉर्मों से अप्रत्यक्ष सहारा मिलता रहा है।

INR 623.63 करोड़ का अवैध प्रवाह

गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C) ने जनवरी 2024 से सितंबर 2025 के बीच कम-से-कम 27 क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों की पहचान की, जो कथित तौर पर साइबर अपराधियों द्वारा लूटे गए पैसे को क्रिप्टो में बदलकर विदेश भेजने में उपयोग किए गए।

इन एक्सचेंजों से होकर करीब 623.63 करोड़ रुपये गुजरे, जो लगभग 2,872 भारतीय पीड़ितों से ठगी कर हासिल किए गए थे। एक प्लेटफॉर्म से 360 करोड़ रुपये तक जाने का संदेह है, जबकि कुछ एक्सचेंजों से 6 करोड़ रुपये जैसी छोटी राशि भी प्रवाहित हुई।

I4C ने तीन वर्षों में दर्ज 144 साइबर अपराध मामलों का विश्लेषण किया और पाया कि अपराधियों के लिए चोरी के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर सुरक्षित रूप से अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को भेजना बेहद आसान हो गया है।

रूसी संदिग्ध से बॉलीवुड और हॉलीवुड तक जुड़ी कड़ियां

जांच में सामने आए एक सबसे रोमांचक केस में एक रूसी क्रिप्टो संदिग्ध का नाम जुड़ा, जिसका रिश्ता एक ऐसी फिल्म से है जिसमें हॉलीवुड अभिनेता केविन स्पेसी और बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी ने साथ काम किया था।

यही नहीं, यह संदिग्ध भारतीय निवेशकों को विभिन्न योजनाओं में लुभाने और यहां तक कि एलन मस्क की मां माये मस्क के मुंबई में जन्मदिन समारोह से भी जोड़ा गया है।

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यह जटिल मनी ट्रेल साबित करता है कि डिजिटल संपत्तियों के जरिये अपराधी कैसे गुमनामी और तेज़ ट्रांसफर सुविधाओं का फायदा उठाकर वैश्विक सीमाओं की बाधाओं को बेअसर कर देते हैं।

ICIJ की यह जांच पहले हुए बड़े खुलासों, HSBC लीक, पनामा पेपर्स, पैराडाइज़ पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स, की तरह ही व्यापक और प्रभावशाली मानी जा रही है।

क्रिप्टो कैसे बन गया मनी लॉन्ड्रिंग का पसंदीदा साधन

क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसा डिजिटल पैसा है जिसे किसी भी बैंक या केंद्रीय प्राधिकरण की जरूरत के बिना खरीदा, बेचा या भेजा जा सकता है।

हर लेन-देन ब्लॉकचेन पर दर्ज होता है, लेकिन वॉलेट के पीछे की पहचान अक्सर छिपी रहती है। यही गुमनामी ठगों और रैंसमवेयर गिरोहों के लिए इसे आकर्षक बनाती है।

दुनिया भर में नियमन बेहद असमान है। जहां जापान, सिंगापुर और यूरोपीय संघ ने कड़े नियम बनाए हैं, वहीं कई देशों में ढील का फायदा अपराधी उठा रहे हैं।

पैसा कुछ ही मिनटों में कई वॉलेट्स और मिक्सिंग सर्विसेज के जरिए ऐसे क्षेत्रों में पहुंच जाता है जहां निगरानी कमजोर है।

भारतीय मामलों में भी यही पैटर्न सामने आया है। तेजी, गुमनामी और नियमों की कमी का फायदा उठाकर अपराधी बड़ी रकम को देश के बाहर भेजते रहे।

जांच एजेंसियों की चुनौती

भारत में क्रिप्टो में निवेशकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन सरकार अब भी इसे लेकर बेहद सावधानी बरत रही है।

अधिकारियों का मानना है कि अगर क्रिप्टो को औपचारिक रूप से नियमों के दायरे में लाया गया, तो इसे सरकारी मान्यता मिल जाएगी और इससे आम लोगों का निवेश और बढ़ सकता है जो कि एक जोखिम भरा कदम होगा, क्योंकि क्रिप्टो बाजार अत्यधिक अस्थिर है।

वित्त मंत्रालय फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी पर एक प्रारंभिक चर्चा पत्र तैयार कर रहा है, लेकिन यह कोई अंतिम नीति नहीं है। इसके साथ ही, जांच एजेंसियां एक नई समस्या से जूझ रही है। जब्त किए गए क्रिप्टो को कहां रखा जाए?

रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख केंद्रीय एजेंसी ने 4 मिलियन डॉलर की जब्त क्रिप्टोकरेंसी अस्थायी रूप से एक निजी कंपनी की सुरक्षित कस्टडी सेवा में जमा कर रखी है।

निष्कर्ष

कॉइन लॉन्ड्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्रिप्टोकरेंसी का वर्तमान स्वरूप अपराधियों के लिए एक अभूतपूर्व अवसर प्रस्तुत करता है, और वह भी तेज, सुरक्षित और गुमनाम लेन-देन की सुविधा के साथ।

भारत में 27 एक्सचेंजों का इस नेटवर्क में शामिल होना इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।

ऐसे में जरूरी है कि भारत स्पष्ट, संतुलित और प्रभावी क्रिप्टो नीति बनाए, ताकि तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहन मिले, लेकिन अपराधियों के लिए रास्ते भी बंद हों।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के इस नए दौर में सतर्कता और मजबूत नियमन ही सुरक्षा का एकमात्र तरीका है।


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