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Coinbase ने भारत में सेवाएँ फिर शुरू कीं, 2026 तक कैश-टू-क्रिप्टो सुविधा का लक्ष्य

अमेरिकी क्रिप्टो एक्सचेंज Coinbase ने दो साल के अंतराल के बाद भारत में रजिस्ट्रेशन फिर से शुरू कर दिया है।

Coinbase ने भारत में सेवाएँ फिर शुरू कीं, 2026 तक कैश-टू-क्रिप्टो सुविधा का लक्ष्य
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कॉइनबेस ने 2022 में भारत में अपनी क्रिप्टो यात्रा की शुरुआत की थी, लेकिन देश के प्रमुख भुगतान नेटवर्क भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की UPI से जुड़ी बाधाओं के कारण कुछ ही दिनों में रुपये से क्रिप्टो खरीदने की सुविधा बंद करनी पड़ी थी।

दो हजार तेईस में Coinbase ने भारत में सभी प्लेटफार्म सेवाओं को बंद कर दिया था और भारतीय उपयोगकर्ताओं को ऑफ-बोर्ड कर दिया था। लेकिन 2025 में कंपनी ने नियामक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) से पंजीकरण कराया और फिर से भारतीय उपयोगकर्ताओं को पंजीकरण की अनुमति देना शुरू किया। 

क्या बदला है?

2025 के दिसंबर के पहले सप्ताह में कॉइनबेस ने भारत में रजिस्ट्रेशन फिर से खोल दिया, जिससे नए उपयोगकर्ता अब क्रिप्टो-टू-क्रिपो ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। कंपनी के एशिया-पैसिफिक डायरेक्टर जॉन ओ'लॉघलेन (John O’Loghlen) ने India Blockchain Week (IBW) में कहा कि कॉइनबेस 2026 तक भारत में रुपये से क्रिप्टो खरीदने की सुविधा प्रारंभ करना चाहता है।

यह फैसला कॉइनबेस के लिए भारत में दीर्घकालिक पुनः प्रवेश की रणनीति का हिस्सा है। कंपनी के मुताबिक भारत को सिर्फ ट्रेडिंग मार्केट नहीं, बल्कि एक टेक और विकास (डिवैलपमेंट) हब के रूप में देखा जा रहा है।

कॉइनबेस का भारत पर निवेश और साझेदारी

कॉइनबेस ने इसी साल भारत की प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX में निवेश किया है। 2025 में निवेश राउंड के बाद CoinDCX का मूल्यांकन 2.45 billion अमेरिकी डॉलर हुआ। यह कदम Coinbase के लिए भारत में स्थिर उपस्थिति पाने और स्थानीय उपयोगकर्ता आधार के साथ-साथ पेमेंट पार्टनर्स एवं नियामक वातावरण के साथ तालमेल बनाने का एक रणनीतिक प्रयास है।

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यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि भारत में क्रिप्टो अपनाने की रफ्तार लगातार तेज हो रही है। हालिया वैश्विक रिपोर्ट्स, जैसे कि Chainalysis और विभिन्न उद्योग सर्वेक्षण, यह संकेत देते हैं कि भारत न केवल उपयोगकर्ता संख्या में अग्रणी है, बल्कि ट्रांजैक्शन वॉल्यूम और ब्लॉकचेन-संबंधित नवाचारों में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगरों तक, युवा निवेशकों, फ्रीलांसरों और स्टार्टअप्स के बीच क्रिप्टो एसेट्स के प्रति रुचि बढ़ी है। साथ ही Web3, DeFi और ब्लॉकचेन आधारित स्टार्टअप्स का विस्तार भी भारत को एक उभरते हुए वैश्विक क्रिप्टो-अडॉप्शन हब के रूप में मजबूती दे रहा है।

चुनौतियाँ और जोखिम

भारत में क्रिप्टो पर कर नियम (30 % लाभ कर और हर ट्रेड पर 1 % TDS) ने कई निवेशकों की सक्रियता को प्रभावित किया है। क्रिप्टो एक्सचेंज के लिए पेमेंट पार्टनर्स के साथ यह सुनिश्चित करना कि नियामक नियमों का पालन हो बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई है। 

Coinbase ने इसे “क्लीन-सीट” रणनीति कहा है। स्थानीय प्रतिस्पर्धा पहले से मौजूद है। अन्य भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज और स्थानीय खिलाड़ी पहले से उपयोगकर्ता आधार बना चुके हैं। कॉइनबेस के लिए वहाँ वापसी से पहले भरोसा जीतना ज़रूरी होगा।

भारत में क्रिप्टो का बढ़ता परिदृश्य

एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि भारत तेजी से क्रिप्टो अपनाने में आगे है, न सिर्फ रिटेल निवेशकों में बल्कि संस्थागत निवेश तथा स्टेबलकॉइन प्रवाह में भी। इससे स्पष्ट होता है कि यदि नियामक स्पष्टता और सुविधाजनक पेमेंट चैनल मिलते हैं, तो भारत में क्रिप्टो मार्केट में और तेजी आ सकती है।

कॉइनबेस जैसा ग्लोबल प्लेटफार्म, जो विश्वसनीयता, सुरक्षा और बड़े यूज़र बेस का वादा करता है, भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए आकर्षक विकल्प बनेगा, बशर्ते उसने स्थिरता और सुविधा कायम रखी।

Coinbase की भारत में वापसी और 2026 तक रुपये-फिएट ऑन-रैम्प की योजना एक स्पष्ट संकेत है कि कंपनी भारत को सिर्फ एक पारंपरिक मार्केट के रूप में नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक निवेश और विकास मंच के रूप में देख रही है।

निष्कर्ष

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कर, भुगतान अवसंरचना और नियामक अनिश्चितता जैसी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई है। अगर Coinbase को ये समस्याएँ हल करने में सफलता मिलती है, तो उसकी वापसी भारतीय क्रिप्टो पारिस्थितिकी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

Coinbase की 2026 तक रुपये से सीधे क्रिप्टो खरीदने की सुविधा देने की योजना यदि सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह भारतीय उपयोगकर्ताओं और निवेशकों को बड़ा अवसर दे सकती है। लेकिन यह सब तभी संभव है जब नियामक स्पष्टता, सुरक्षा और स्थानीय पेमेंट व बैंकिंग पार्टनरशिप बनी रहे।


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