भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी कंपनियों पर सख्ती बढ़ा दी है। लगातार बढ़ते साइबर हमलों और डिजिटल चोरी की घटनाओं को देखते हुए केंद्र ने देश के सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों, कस्टोडियनों और अन्य मध्यस्थों के लिए साइबर सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत, अब इन सभी संस्थानों को भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) के पैनल में शामिल अधिकृत सुरक्षा ऑडिटर से ही ऑडिट कराना होगा। यह कदम न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए है, बल्कि देश के डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो एक्सचेंजों पर कई बार हैकिंग हमले हुए हैं, जिनमें अरबों डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी चोरी हो चुकी है। भारत भी इन घटनाओं से अछूता नहीं रहा है। कई मामलों में भारतीय निवेशकों की डिजिटल संपत्तियां साइबर अपराधियों के हाथ लग चुकी हैं। हाल ही में एशिया के कुछ देशों में हुए बड़े क्रिप्टो चोरी कांडों ने भारतीय एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी। सरकार को डर है कि यदि सुरक्षा मानक तुरंत कड़े नहीं किए गए, तो यह उभरता हुआ बाजार निवेशकों का विश्वास खो सकता है।
CERT-In की भूमिका
CERT-In, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है, देश के साइबर सुरक्षा ढांचे की निगरानी और सुरक्षा उपाय तय करने वाली प्रमुख संस्था है। अब सभी क्रिप्टो संस्थाओं को निर्देश दिया गया है कि वे CERT-In से मान्यता प्राप्त साइबर सुरक्षा ऑडिटर को नियुक्त करें। ये ऑडिटर नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेटा स्टोरेज, ट्रांजैक्शन सिक्योरिटी और यूज़र प्रोटेक्शन जैसे सभी पहलुओं का गहन विश्लेषण करेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “क्रिप्टो उद्योग तेजी से फैल रहा है, लेकिन इसकी पारदर्शिता और सुरक्षा मानकों पर सवाल उठते रहे हैं। यह ऑडिट प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी संस्था सुरक्षा से समझौता न करे।”
उद्योग की प्रतिक्रिया
क्रिप्टो उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। कई एक्सचेंजों का मानना है कि इससे भारत में डिजिटल एसेट्स की विश्वसनीयता बढ़ेगी। एक प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज के सीईओ ने कहा,
हमें खुशी है कि सरकार ने एक मजबूत ढांचा बनाने की दिशा में कदम उठाया है। निवेशकों की सुरक्षा हमारी भी प्राथमिकता है, और यह ऑडिट अनिवार्यता सभी खिलाड़ियों को जवाबदेह बनाएगी।
हालांकि, कुछ छोटे एक्सचेंजों ने यह चिंता भी जताई है कि ऑडिट प्रक्रिया और उससे जुड़े खर्च उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। उनका कहना है कि सरकार को इस दिशा में उन्हें सहयोग देना चाहिए ताकि छोटे उद्यमी भी सुरक्षित और पारदर्शी माहौल में काम कर सकें।
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निवेशकों को मिलेगी सुरक्षा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। जब सभी क्रिप्टो संस्थाएं प्रमाणित ऑडिट से गुजरेंगी, तो उनके लिए डिजिटल वॉलेट्स, ट्रांजैक्शन और डेटा हैंडलिंग अधिक सुरक्षित होंगे। साइबर हमले की स्थिति में भी जिम्मेदारी तय करना आसान हो जाएगा।
कई विकसित देशों में क्रिप्टो उद्योग पहले से ही कड़े सुरक्षा मानकों और ऑडिट नियमों के अधीन है। भारत का यह कदम उसी दिशा में बढ़ाया गया एक प्रयास माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे भारतीय क्रिप्टो उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत सरकार का यह निर्णय क्रिप्टो उद्योग के लिए गेम-चेंजरसाबित हो सकता है। यह न केवल साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद करेगा बल्कि निवेशकों के भरोसे को भी मजबूत करेगा।
हालांकि छोटे एक्सचेंजों को लागत और प्रक्रियागत चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह कदम देश के डिजिटल वित्तीय तंत्र को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
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