Cointelegraph
Rajeev RRajeev R

डिजिटल तस्करी में बढ़ा स्टेबलकॉइन का इस्तेमाल, DRI की चेतावनी

DRI की रिपोर्ट के अनुसार सोना और नशे की तस्करी में हवाला की जगह स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल बढ़ा है, जिससे निगरानी चुनौतीपूर्ण हो गई है।

डिजिटल तस्करी में बढ़ा स्टेबलकॉइन का इस्तेमाल, DRI की चेतावनी
ताज़ा ख़बर

हाल ही में जारी ‘भारत में तस्करी रिपोर्ट 2024-25’ के अनुसार, तस्करों ने पारंपरिक हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल कम कर दिया है और अब वे स्टेबलकॉइन्स, विशेष रूप से USDT, का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि क्रिप्टो और स्टेबलकॉइन्स, पारंपरिक वित्तीय चैनलों की तुलना में, लेन-देन को तेज, लगभग गुप्त और बिना कागज़ी दस्तावेज़ के संभव बनाते हैं।

विशेष रूप से, सोने की तस्करी के मामले में। जब 108 किलो सोना अवैध रूप से भारत से बाहर भेजा गया, तो लगभग 12.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर, करीब ₹108 करोड़ की रकम हवाला और USDT दोनों माध्यमों से भेजी गई। यह एक गंभीर मामला है, जिसने भारत में DRI के बड़े अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है।

क्यों आसान हुआ तस्करों का काम?

पारंपरिक हवाला नेटवर्क में कभी-कभी लंबे इंतजार और कई मध्यस्थों की जरूरत होती थी। लेकिन स्टेबलकॉइन्स के ज़रिए पैसा सेकंडों में सीमा पार पहुंच सकता है। इस गति और सहजता ने तस्करों को आकर्षित किया है।

क्रिप्टो वॉलेट अनाम हो सकते हैं और लेन-देन के रिकॉर्ड कुछ हद तक छुपाए जा सकते हैं। VPN या एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर संचार करना और पैसों को कई वॉलेट्स में बांट देना, जिससे ट्रैकिंग बहुत मुश्किल हो जाती है।

कई देशों में अभी क्रिप्टो मुद्राओं पर मजबूत कानूनी और निगरानी ढांचे नहीं बने हैं, जिससे गिरोहों को फायदा मिलता है। क्योंकि वे पारंपरिक गलत-धन रोकने वाले नियमों और कस्टम प्रक्रिया को आसानी से चकमा दे सकते हैं।

चुनौतियाँ

रिपोर्ट बताती है कि इस तरह के डिजिटल आधारित अवैध लेन-देन का पता लगाने के लिए अब कड़े कदम आवश्यक हैं। रिपोर्ट में कई अच्छे सुझाव और सलाह हैं। उदाहरण के लिए, उन्नत ब्लॉकचेन फोरेंसिक टूल्स का उपयोग किया जाए, विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना साझा की जाए, वर्चुअल एसेट्स के लिए क़ानूनी और नियामक ढांचा मजबूत बनाया जाए और लेन-देन में पारदर्शिता तथा KYC नियम लागू हों।

क्या आप जानते हैं: भारत के युवा होंगे क्रिप्टो की अगली लहर के प्रमुख चालक

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल बंदिशों से काम नहीं चलेगा, क्योंकि यह अवैध गतिविधियों को और अधिक गुप्त बना सकती है। इसके बजाय, नियंत्रित और पारदर्शी वर्चुअल एसेट फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। 

आगे क्या किया जाना चाहिए?

देश में जब डिजिटल मुद्राओं का दायरा बढ़ रहा है, तब कानून प्रवर्तन और नियामक संस्थाओं को भी वास्तविकता की मांग के अनुसार कदम उठाना होगा।

  • नए डिजिटल मुद्रा नियम और दिशा-निर्देश बनाए जाएँ

  • क्रिमिनल नेटवर्क द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले वॉलेट्स, वॉलेट-होल्डर्स की पहचान व उनकी गतिविधियों पर निगरानी हो

  • वैश्विक सहयोग बढ़े, क्योंकि भुगतान नेटवर्क सीमाओं का बंधन नहीं मानते 

  • ब्लॉकचेन फोरेंसिक, डेटा-शेयरिंग व साइबर जाँच में इन्वेस्टमेंट हो

यदि यह नहीं हुआ, तो तस्करी और मनी-लॉन्ड्रिंग के अपराध नए रूप में और तेज गति से फलते-फूलते रहेंगे।

निष्कर्ष

पारंपरिक हवाला नेटवर्क से हटकर, तस्करों द्वारा स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल करना यह दर्शाता है कि अवैध आर्थिक गतिविधियाँ अपनी रणनीतियाँ बदल रही हैं। इस बदलती टेक्नॉलॉजी की समझ, नए कानूनी रूप एवं आधुनिक जाँच-तंत्र के बिना, अपराध नियंत्रण में बने रहना मुश्किल होगा।

स्थिति यही है कि अब यह सिर्फ एक वित्तीय या तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की चुनौती बन चुकी है।

ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!