प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए चिराग तोमर, उनके परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों की कुल ₹42.8 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया है। जब्त संपत्तियों में दिल्ली की 18 अचल संपत्तियां और कई बैंक खातों में जमा राशि शामिल है। यह कार्रवाई उस बहुचर्चित अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले से जुड़ी है, जिसमें तोमर को अमेरिका में दोषी ठहराया गया था।
अमेरिका में सजा, भारत में कार्रवाई
चिराग तोमर एक भारतीय नागरिक हैं जिन्हें अमेरिकी अदालत ने कॉइनबेस क्रिप्टो एक्सचेंज से जुड़े $20 मिलियन (करीब ₹166 करोड़) के धोखाधड़ी मामले में दोषी पाया था। अक्टूबर 2024 में उन्हें पांच साल की कैद और दो साल की निगरानी अवधि की सजा सुनाई गई। उन्होंने मई 2024 में वायर फ्रॉड साजिश के आरोप में दोष स्वीकार किया था।
अमेरिकी अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2021 से 2023 के बीच तोमर और उनके सहयोगियों ने कॉइनबेस जैसी दिखने वाली नकली वेबसाइटें बनाईं। इन वेबसाइटों को इंटरनेट पर इस तरह प्रमोट किया गया कि वे सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर दिखाई दें। पीड़ित लोग इन फर्जी साइट्स पर लॉगिन करते, तो उन्हें गलत संदेश दिखता और सहायता के लिए एक दिए गए नंबर पर कॉल करने के लिए कहा जाता।
धोखाधड़ी का तरीका और ईडी की जांच
कॉल करने पर पीड़ितों को एक फर्जी कॉल सेंटर से जोड़ा जाता, जिसे तोमर के नेटवर्क द्वारा चलाया जा रहा था। यहां से उनसे खाते की जानकारी, पासवर्ड और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी ली जाती। इसके बाद उनकी क्रिप्टोकरेंसी चुपचाप ट्रांसफर कर दी जाती। यह चोरी की गई डिजिटल करेंसी विभिन्न वॉलेट्स में भेजकर और पी2पी प्लेटफॉर्म्स के जरिए बेचकर भारतीय रुपये में बदली जाती थी।
ईडी की जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क के जरिए करीब ₹600 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी का अवैध रूप से लेन-देन किया गया। इसमें से ₹15 करोड़ की राशि सीधे तौर पर तोमर और उनके परिवार के बैंक खातों में पहुंची। फरवरी 2025 में ईडी ने दिल्ली, जयपुर और मुंबई में छापेमारी कर ₹2.18 करोड़ नकद, कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए थे।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार, तोमर ने इस धन का उपयोग दिल्ली में महंगी संपत्तियां खरीदने के साथ-साथ अन्य निवेश में किया। अब जबकि अमेरिका में वह सजा काट रहे हैं, भारत में भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आर्थिक अपराधों के तहत कार्रवाई जारी है। एजेंसी का कहना है कि आगे और भी संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कुर्क किया जा सकता है।