केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब में एक बड़े क्रिप्टोकरेंसी आधारित पोंजी और मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) घोटाले का उजागर किया है, जिसमें लगभग ₹2,300 करोड़ की ठगी का खुलासा हुआ है। यह कार्रवाई 13 दिसंबर 2025 को आठ से अधिक ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई थी।
जांच में पता चला है कि आरोपियों ने कोर्वियो, वोस्क्रो, डीजीटी, हाइपनेक्स्ट और ए-ग्लोबल जैसे स्वयं निर्मित, बिना लाइसेंस वाले क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के जरिए निवेशकों को अत्यधिक लाभ का लालच देकर पोंजी-प्रकार की योजनाओं में फंसाया। इन योजनाओं के तहत नए निवेशकों से जुटाए गए पैसे से पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था, जबकि असल में कोई वैध व्यवसाय नहीं चल रहा था।
तलाशी में क्या-क्या बरामद हुआ?
एजेंसी की तलाशी बैठकों में कई आरोपियों के बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट, डिजिटल उपकरण, निवेश डेटा और दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जो निवेशकों को लुभाने के तरीकों और नेटवर्क के विस्तार को दर्शाते हैं। इसके अलावा तीन लॉकर फ्रीज किए गए और लगभग ₹1.2 करोड़ नकद राशि भी सीज की गई है।
जांच से यह भी सामने आया है कि पोंजी नेटवर्क को छुपाने के लिए प्लेटफॉर्म को बार-बार बंद कर नए नाम से रिब्रांड किया गया और सच्ची क्रिप्टो गतिविधि होने का आभास दिया गया। आरोपियों ने टोकन की कीमतों को मनमाने तरीके से बढ़ाया और घटाया, और विदेशी यात्राओं, बड़े प्रचार कार्यक्रमों और कमीशन स्ट्रक्चर के माध्यम से निवेशकों को लुभाया।
आरोपी और कानूनी सक्रियता
मुख्य आरोपी सुभाष शर्मा वर्ष 2023 में देश छोड़कर भाग गए थे, जबकि उनके सहयोगी और एजेंटों के खिलाफ कई FIRs दर्ज की गई हैं। कुछ आरोपियों ने बेनामी संपत्तियों में भी निवेश किया था और जांच में इसका पता चला है। एक आरोपी विजय जुनेजा ने हिरासत में होने पर भी जीरकपुर, पंजाब, में 15 प्लॉट्स को अवैध रूप से बेच दिया।
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जांच और भविष्य की कार्रवाई
ED ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ शुरुआती कार्रवाई है और मामले की गहन जांच जारी है। भविष्य में और भी संपत्तियों को जब्त करने और अन्य सहयोगियों को गिरफ्तार करने की प्रक्रिया चल रही है। अधिकारी यह भी जांच रहे हैं कि इन अवैध फंडों को किन-किन माध्यमों से सफेद धन में परिवर्तित किया गया।
भारत में क्रिप्टो धोखाधड़ी
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन के साथ क्रिप्टो धोखाधड़ी की घटनाएँ भी तेजी से बढ़ी हैं। फर्जी निवेश योजनाएँ, पोंजी स्कीम, नकली ट्रेडिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के माध्यम से झूठे वादे कर लोगों को ठगा जा रहा है। कई मामलों में निवेशकों को अत्यधिक रिटर्न का लालच देकर उनकी गाढ़ी कमाई हड़प ली जाती है। तकनीकी जानकारी की कमी और स्पष्ट नियमन के अभाव में आम नागरिक आसानी से शिकार बन जाते हैं।
निष्कर्ष
यह घोटाला न सिर्फ बड़े पैमाने पर निवेशकों के आर्थिक नुकसान का कारण बना है, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों और बिना नियमन वाली डिजिटल संपत्तियों में निवेश की गिरती सुरक्षा की ओर भी गंभीर संकेत है।
सरकारी एजेंसियों की सक्रियता और कठोर निगरानी ऐसे धोखाधड़ी नेटवर्क को उजागर करने में मददगार साबित हो रही है। निवेशकों को सतर्क रहने और किसी भी प्लेटफॉर्म में निवेश से पहले लाइसेंस और मान्यता की जांच करने की सलाह दी जाती है।
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