वैश्विक निवेश परिदृश्य में सोने ने फिर से अपना दम दिखाया है। निवेश सलाह कंपनी Emkay Wealth Management के अनुसार, सोने की कीमत अगले कुछ समय में प्रति औंस US $ 4,600 तक पहुँच सकती है। इस आशावादी प्रक्षेपवक्र के पीछे केंद्रीय बैंकों और गोल्ड-एक्सचेंज-ट्रेडेड-फंड (ETFs) में लगातार बढ़ती भारी मांग है।
केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोने की खरीद में तेज़ी ला रहे हैं। डॉलर आधारित परिसंपत्तियों पर भरोसा कम हुआ है और कई देशों ने सोने को वैकल्पिक सुरक्षित सम्पत्ति के रूप में देखा है। Emkay के मुताबिक, वर्ष 2025 में ETF प्रवाह लगभग US $ 65 बिलियन तक पहुंच गया है, जिसमें पिछले तीन महीनों में करीब US $ 20 बिलियन का इज़ाफ़ा हुआ।
दूसरी ओर, अमेरिकी डॉलर की कमी और कमजोर स्थिति ने सोने की चमक को और बढ़ाया है। पिछले वर्ष में डॉलर में लगभग 8 % की गिरावट आई है, जो सोने को अन्य मुद्राओं में रखने वालों के लिए आकर्षक बनाती है।
इसके अलावा, रूस-यूक्रेन व मध्य-पूर्व में चले आ रहे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास की धीमी गति ने निवेशकों को जोखिम-मुक्त विकल्प की ओर मोड़ा है। सोना इन चुनौतियों में निवेश पोर्टफोलियो का एक भरोसेमंद हिस्सा बन गया है।
तकनीकी विश्लेषण व रणनीति
Emkay Wealth Management ने तकनीकी दृष्टि से यह कहा है कि सोने का समर्थन स्तर लगभग US $ 3,890 व US $ 3,510 प्रति औंस के बीच है। वहीं, ऊपरी लक्ष्य के तौर पर US $ 4,368 एवं US $ 4,600 बताए गए हैं।
क्या आप जानते हैं: Tax collection में नई मजबूती, भारत की राजस्व वृद्धि को मिला बल
विशेषज्ञ सुझा रहे हैं कि जिन निवेशकों के पास पहले से सोना है, उन्हें अपने निवेश को बनाए रखने और कतिपय गिरावट पर खरीद करने पर विचार करना चाहिए। Emkay का सुझाव है कि जो पहले निवेश कर चुके हैं, वे अपनी स्थिति बनाए रखें और डिप्स पर एड करें।
भारत में प्रभाव
भारत में सोने की कीमतें भी वैश्विक रुझानों से प्रभावित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, 24-कैरेट सोना ₹1,25,850 प्रति 10 ग्राम के स्तर के आसपास कारोबार कर रहा है।
भारतीय निवेशकों के लिए यह वक्त सोने को विविधीकृत पोर्टफोलियो में शामिल करने का संकेत है, खासकर जब पारंपरिक सक्रिय परिसंपत्तियों बॉन्ड्स) में अस्थिरता अधिक हो। वित्तीय नियोजनकर्ता आमतौर पर सोने को कुल पोर्टफोलियो का 10-15 % तक रखने की सलाह देते हैं।
हालाँकि तस्वीर उज्ज्वल है, पर सोने से जुड़े जोखिम भी कम नहीं हैं। अगर अमेरिका में दरों में वृद्धि हुई, डॉलर मजबूत हुआ या आर्थिक संकेत अच्छे आए, तो सोने की चमक पर ब्रेक लग सकता है। इसके अलावा, सोना आय नहीं देता। इसलिए यह लाभांश-उन्मुख निवेशकों के लिए प्राथमिक विकल्प नहीं है।
निष्कर्ष
इस वक्त सोना निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता, डॉलर की कमजोरी, केंद्रीय बैंकों व ETFs की गति इसके प्रमुख कारण हैं।
Emkay Wealth Management का मानना है कि यदि मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही, तो सोना प्रति औंस US $ 4,600 तक का लक्ष्य हासिल कर सकता है।
भारत के निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में इस धातु को सुरक्षित-हैवेन के रूप में शामिल करने पर विचार करना चाहिये, लेकिन साथ ही संभावित जोखिमों व समय-सीमाओं का ध्यान भी रखना आवश्यक है।
ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!