गुड़गांव में साइबर अपराध शाखा ने एक व्यापक जांच के बाद नकली क्रिप्टो निवेश रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि ये आरोपियों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर निवेशकों को आकर्षक और असंभव उच्च रिटर्न का वादा करके अपनी कृत्रिम निवेश योजनाओं में फंसाया।
पुलिस के अनुसार, राजस्थान के दौसा जिले से जुड़े विजयेंद्र (23), दिलखुश (21) और विवेक कुमार (18) को धोखाधड़ी के आरोप में हिरासत में लिया गया है। यह गिरोह मुख्य रूप से इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप एवं टेलीग्राम समूहों के माध्यम से अपने विज्ञापन चलाता था, जिसमें उन्होंने निवेश के साथ-साथ घर से काम करने के आकर्षक अवसर भी प्रस्तुत किए।
पुलिस ने मामला दर्ज करने वाले एक पीड़ित की शिकायत के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने ऑनलाइन क्रिप्टो निवेश की पेशकश में पैसे लगाए, लेकिन बाद में उस धनराशि को वापस नहीं पा सका। इससे पुलिस को मामले की गंभीरता का अहसास हुआ और जांच शुरू की गई।
जांच के दौरान पुलिस ने तीनों आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की और चार मोबाइल फोन जब्त किए। पूछताछ में यह सामने आया कि ₹73,556 की धनराशि वांछित धोखाधड़ी से विजयेंद्र के बैंक खाते में जमा करवाई गई थी। जांच में यह भी पता चला कि विजयेंद्र ने अपने बैंक खाते को ₹10,000 में दिलखुश को बेच दिया और बाद में दिलखुश ने उसी खाते को ₹20,000 में विवेक को आगे बेच दिया। इस प्रकार वे बैंक खातों का धंधा आगे बढ़ाते रहे।
एसीपी (साइबर) प्रियंशु देवन ने बताया कि आरोपियों ने विज्ञापनों के माध्यम से निवेशकों से पहले ₹499 की राशि पंजीकरण शुल्क के रूप में वसूली। इसके बाद उनसे बड़े निवेश का लालच दिया गया। जैसे ही निवेशक धनराशि जमा करते, उन्हें वादा किया गया रिटर्न नहीं मिलता और उन्हें लगातार और अधिक पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया जाता था।
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ऑनलाइन निवेश घोटाले
ऐसे ऑनलाइन निवेश घोटाले केवल गुड़गांव तक सीमित नहीं हैं। देश भर में साइबर धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें बड़ी रकम से संबंधित ऑनलाइन निवेश योजनाओं के नाम पर लोगों को ठगा गया है।
उदाहरण के लिए, दिल्ली पुलिस ने हाल ही में साइबर अपराध शाखा के तहत ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी के दो अलग मामलों में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और ₹24 करोड़ के धन के माध्यम की पहचान की। ऐसे मामलों में निवेशकों को झांसा देने के लिए फर्जी ट्रेडिंग ऐप और नकली वेबसाइटों का उपयोग किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो और डिजिटल पैसे से जुड़ी धोखाधड़ी के कई बड़े मामले सामने आए हैं। एक मामला ओडिशा में ₹ 1,000 करोड़ के क्रिप्टो पोंजी घोटाले का था, जिसमें हजारों निवेशक प्रभावित हुए थे और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
निष्कर्ष
यह रैकेट इस बात की स्पष्ट चेतावनी है कि डिजिटल निवेश योजनाओं में सावधान रहना कितना आवश्यक है। यदि निवेशक सोशल मीडिया विज्ञापनों के माध्यम से किसी भी निवेश योजना में शामिल होने का विचार करते हैं, तो उन्हें उचित जांच-पड़ताल, भरोसेमंद स्रोतों की पुष्टि और सरकारी नियामक दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। साइबर अपराध पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां लगातार ऐसे घोटालों पर नजर रख रही हैं, लेकिन निवेशक की सतर्कता ही सबसे प्रभावी रक्षा है।
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