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Rajeev RRajeev R

पूंजी पलायन पर अंकुश के लिए भारत को स्पष्ट क्रिप्टो नियम की ज़रूरत

1% TDS और अस्पष्ट नीतियों के कारण भारतीय क्रिप्टो पूंजी विदेश जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ता सुरक्षा, कर स्पष्टता और नवाचार के लिए भारत को तत्काल संतुलित नियम चाहिए।

पूंजी पलायन पर अंकुश के लिए भारत को स्पष्ट क्रिप्टो नियम की ज़रूरत
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भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को लेकर चल रही बहस पिछले कुछ वर्षों में और तेज हुई है। वैश्विक स्तर पर डिजिटल परिसंपत्तियों के तेजी से विस्तार और निवेशकों की बढ़ती रुचि के बीच, भारत अभी भी स्पष्ट और समग्र नियामकीय ढांचे के इंतज़ार में है। एस्या सेंटर (Esya Centre) की निदेशक मेघना बाल का कहना है कि यह देरी न केवल निवेश को प्रभावित कर रही है, बल्कि देश से पूंजी का बाहर जाना भी बढ़ा रही है। 

उनके अनुसार, भारत को तत्काल ऐसे स्पष्ट और संतुलित क्रिप्टो नियमों की ज़रूरत है जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें, व्यवसायों को निश्चितता दें और नवाचार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करें।

नियमों की कमी = व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए अनिश्चितता

सीएनबीसी टीवी से बातचीत करते हुए मेघना बाल ने कहा कि नियमन की अनुपस्थिति इस क्षेत्र में सहभागिता का सबसे बड़ा अवरोध है। 

उन्होंने कहा,

जब आपके पास नियम नहीं होते, तो व्यवसायों के लिए भी निश्चितता नहीं होती और उपभोक्ताओं के लिए भी नहीं।

इस अनिश्चितता के कारण भारत में कई क्रिप्टो उद्यमी और स्टार्टअप्स विदेशों की ओर रुख कर रहे हैं, जिसे वह उद्यमी पलायन कहती हैं। उनका कहना है कि यह पलायन मुख्यतः भारत के कठोर कर ढांचे के लागू होने के बाद और तेज हुआ।

1% TDS: उद्देश्य निगरानी, परिणाम पूंजी पलायन

इसके केंद्र में है क्रिप्टो लेन-देन पर 1% टीडीएस (TDS) और मुनाफे पर 30% आयकर। सरकार ने 1% टीडीएस को मूलतः लेन-देन की निगरानी के उद्देश्य से लागू किया था, ठीक वैसे ही जैसे सिक्योरिटी ट्रांजैक्शंस टैक्स (STT) कार्य करता है। लेकिन व्यवहार में इसका असर बिल्कुल अलग देखने को मिला।

मेघना बाल के अनुसार, “1% टीडीएस लागू होने के बाद एक्सचेंजों के वॉल्यूम लगभग 81% गिर गए।” इसका मतलब है कि घरेलू प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेडिंग में भारी गिरावट आई, जिसने इस क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों के लिए संचालन कठिन बना दिया।

हालाँकि, इस कर नीति से ट्रेडिंग रुकी नहीं; बस भारत से बाहर चली गई। उन्होंने बताया कि “करीब ₹32,000 करोड़ घरेलू एक्सचेंजों से विदेशी एक्सचेंजों में चले गए,” क्योंकि व्यापारी भारी करों और ऊँची लागत से बचना चाहते थे। यह सीधे तौर पर पूंजी के बाहर जाने को बढ़ावा देता है, जो आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिहाज से चिंताजनक है।

मेघना मानती हैं कि टीडीएस को पूरी तरह हटाने की जगह इसे तार्किक स्तर पर लाया जा सकता है। उनके अनुसार, “कुछ बेहतर यह होगा कि इसे 0.01% किया जाए, जिससे उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा और पूंजी पलायन को प्रोत्साहन भी नहीं मिलेगा।” इससे न केवल लेन-देन पर निगरानी का उद्देश्य पूरा होगा, बल्कि ट्रेडिंग की लागत इतनी नहीं बढ़ेगी कि लोग विदेशी प्लेटफ़ॉर्म की ओर भागें।

TDS समाधान: हटाना नहीं, घटाना

नियमन की आवश्यकता केवल कर ढांचे तक सीमित नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण, बाजार की पारदर्शिता और अपराध-निरोधक तंत्र के लिए भी स्पष्ट नियम जरूरी हैं। बाल का कहना है कि

उपभोक्ताओं की रक्षा हो सके और व्यवसायों को यह बताया जा सके कि सहभागिता के नियम क्या हैं।

यह सुनिश्चित करना सरकार और नियामकों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उनके अनुसार, स्पष्ट नियम निवेश को आकर्षित करते हैं, नवाचार को बढ़ावा देते हैं और क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक स्वस्थ और स्थिर बनाते हैं।

Esya Centre के हालिया शोध के अनुसार, क्रिप्टो अपनाने में ज्ञान और जागरूकता की भूमिका अहम है। 1,000 भारतीय निवेशकों पर किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि पारंपरिक वित्तीय साधनों को अपनाने की दर अभी भी क्रिप्टो से कहीं अधिक है।

शिक्षित और शहरी उत्तरदाताओं में 39.2% लोगों ने पारंपरिक वित्तीय साधनों में निवेश किया, जबकि सिर्फ 16% ने क्रिप्टो में। लेकिन जिन प्रतिभागियों को दोनों की अच्छी समझ थी, उनमें क्रिप्टो अपनाने की दर बढ़कर 31% तक पहुँच गई यानी जागरूकता और शिक्षा बढ़ने से लोग क्रिप्टो को एक वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में अधिक गंभीरता से देखते हैं।

मेघना बाल यह भी बताती हैं कि Esya का शोध दिखाता है कि पिछले सात वर्षों में बिटकॉइन के रिटर्न कई बहुमूल्य धातुओं की तुलना में अधिक स्थिर रहे हैं, बावजूद इसके कि इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव अक्सर देखने को मिलता है। इसका अर्थ यह है कि जोखिम होने के बावजूद, निवेशक इसे एक संभावित दीर्घकालिक परिसंपत्ति के रूप में देख रहे हैं और यही स्थिति नियामकीय स्पष्टता की आवश्यकता को और अधिक रेखांकित करती है।

निष्कर्ष

भारत यदि डिजिटल अर्थव्यवस्था और वेब3 नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हासिल करना चाहता है, तो क्रिप्टो क्षेत्र में स्पष्ट, व्यावहारिक और संतुलित नियम बनाना अनिवार्य है।

कठोर कर ढांचे और अनिश्चित नीतियों के कारण जो पूंजी और प्रतिभा बाहर जा रही है, उसे रोकने के लिए सरकार को उद्योग विशेषज्ञों के सुझावों पर गंभीरता से विचार करना होगा। नियमन न केवल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक डिजिटल वित्तीय क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर भी देगा।