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भारत में क्रिप्टो लेनदेन से टैक्स वसूली में बड़ी वृद्धि, महाराष्ट्र रहा सबसे आगे

FY 2024-25 में क्रिप्टो लेनदेन पर 1% TDS से सरकार ने 512 करोड़ रुपये जुटाए। तीन वर्षों में कुल वसूली 1100 करोड़ रुपये पार, महाराष्ट्र का योगदान सबसे ज्यादा।

भारत में क्रिप्टो लेनदेन से टैक्स वसूली में बड़ी वृद्धि, महाराष्ट्र रहा सबसे आगे
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वर्ष 2024-25 में क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट से जुड़े लेनदेन से सरकार की टैक्स वसूली में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में 1 प्रतिशत टीडीएस के माध्यम से लगभग 512 करोड़ रुपये एकत्र किए गए। यह वसूली पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में जमा हुए 363 करोड़ रुपये से लगभग 41 प्रतिशत अधिक है।

आकड़ों के बढ़ते रुझान से यह स्पष्ट होता है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी निवेश और ट्रेडिंग गतिविधियों में लगातार विस्तार हो रहा है। खास बात यह है कि तीन वर्षों में टीडीएस के माध्यम से कुल 1100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इकट्ठा हुई है, जिससे टैक्स विभाग की निगरानी और अनुपालन व्यवस्था भी मजबूत हुई है।

महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा

सरकारी डेटा के अनुसार, तीन वित्तीय वर्षों में वसूले गए कुल टीडीएस में लगभग 60 प्रतिशत योगदान अकेले महाराष्ट्र का है। केवल वित्त वर्ष 2024-25 में ही महाराष्ट्र से 293 करोड़ रुपये का टीडीएस एकत्र किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य की आर्थिक संरचना, आईटी और वित्तीय सेवाओं का बड़ा आधार, और युवा निवेशकों का बढ़ता झुकाव इसकी प्रमुख वजहें हैं।

कर्नाटक भी क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली टैक्स वसूली में दूसरे स्थान पर रहा। बेंगलुरु जैसे शहरों में तकनीकी क्षेत्र और स्टार्टअप इकोसिस्टम मजबूत होने के कारण डिजिटल एसेट निवेश तेजी से बढ़ा है। इन दोनों राज्यों ने मिलकर पूरे देश की टीडीएस वसूली में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

लेनदेन का वॉल्यूम भी बढ़ा

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में क्रिप्टो लेनदेन का कुल वॉल्यूम 51,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा। यह पिछले वर्ष के मुकाबले मजबूत वृद्धि है। टीडीएस प्रावधान लागू होने के बाद ट्रेडिंग सक्रियता में स्थिरता आई है, साथ ही सरकार के पास डिजिटल एसेट बाजार की स्पष्ट तस्वीर भी उभर रही है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा लागू किए गए टीडीएस सिस्टम ने क्रिप्टो लेनदेन को अधिक पारदर्शी बनाया है। कई एक्सचेंजों और प्लेटफॉर्मों ने भी नियमों के अनुपालन पर जोर दिया है, जिससे टैक्स वसूली का दायरा लगातार बढ़ रहा है।

निवेशकों पर असर

1 प्रतिशत टीडीएस लागू होने के बाद निवेशकों को हर लेनदेन पर कटौती का सामना करना पड़ता है। बार-बार ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के लिए यह अतिरिक्त लागत का कारण बनता है, जबकि दीर्घकालिक निवेशक इस कटौती को भविष्य की टैक्स फाइलिंग में एडजस्ट कर सकते हैं।

फिर भी निवेशकों को क्रिप्टो ट्रेडिंग से हुए किसी भी लाभ पर 30 प्रतिशत टैक्स देना अनिवार्य है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों के लिए लेनदेन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना और समय पर रिटर्न भरना जरूरी है, क्योंकि किसी भी गलती की स्थिति में जुर्माना या ब्याज लगाया जा सकता है।

बढ़ती वसूली क्या संकेत देती है

टैक्स वसूली में बढ़ोतरी तीन प्रमुख पहलुओं की ओर संकेत करती है।
पहला, क्रिप्टोकरेंसी अब केवल सट्टा नहीं बल्कि मुख्यधारा के निवेश विकल्प के रूप में उभर रही है।
दूसरा, कई राज्यों में क्रिप्टो निवेशक तेजी से सक्रिय हो रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।
तीसरा, सरकार की टैक्स निगरानी प्रणाली और अनुपालन ढांचा मजबूत हो रहा है, जिससे डिजिटल एसेट बाजार अधिक नियंत्रित और पारदर्शी बन रहा है।

चुनौतियाँ अभी भी मौजूद

टैक्स वसूली में सुधार के बावजूद क्रिप्टो बाजार कई चुनौतियाँ पेश करता है। कीमतों में उतार-चढ़ाव, अनिश्चित नियामकीय ढांचा और विदेशी एक्सचेंजों पर बढ़ती गतिविधि ऐसे मुद्दे हैं जिन पर अभी भी स्पष्ट नीति की जरूरत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि नियम और अधिक स्पष्ट किए जाएँ, तो क्रिप्टो बाजार से टैक्स संग्रह और अधिक बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

भारत में क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से टैक्स वसूली लगातार बढ़ रही है और वित्त वर्ष 2024-25 इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों की सक्रिय भागीदारी इस बढ़ोतरी को नई दिशा देती है।

आंकड़े दिखाते हैं कि डिजिटल एसेट बाजार अधिक संगठित होता जा रहा है और सरकार की निगरानी प्रणाली मजबूत बन रही है। आने वाले समय में टैक्स ढांचे और नियमों में और स्पष्टता आने की उम्मीद है, जिससे निवेशक और उद्योग दोनों को लाभ मिल सकता है।

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