वित्त वर्ष 2024-25 में क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर टीडीएस वसूली में आई तेज बढ़ोतरी भारत में डिजिटल संपत्ति बाजार के तेजी से विस्तार की ओर इशारा करती है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि निवेशकों की सक्रियता, एक्सचेंजों पर बढ़ते लेन-देन और सख्त कर अनुपालन ने कुल टैक्स संग्रह को नए स्तर पर पहुंचाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल–मार्च) के दौरान क्रिप्टोकरेंसी और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर कुल ₹511.83 करोड़ का टीडीएस संग्रहित किया गया।
पिछले दो वित्त वर्षों में टीडीएस वसूली निरंतर बढ़ी है। FY 2022-23 में ₹221.27 करोड़ और FY 2023-24 में ₹362.70 करोड़। इस प्रकार, तीन वर्षों में सरकार ने कुल मिलाकर लगभग ₹1,095.80 करोड़ टीडीएस जुटाया है। 1% टीडीएस दर के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि FY 2024-25 में देश में क्रिप्टो लेन-देन का कुल मूल्य ₹51,000 करोड़ से अधिक रहा।
महाराष्ट्र और कर्नाटक क्रिप्टो टीडीएस योगदान में देशभर में शीर्ष पर रहे, जो इन राज्यों में डिजिटल एसेट ट्रेडिंग की ऊंची सक्रियता को दर्शाता है। महाराष्ट्र से लगभग ₹293 करोड़ और कर्नाटक से करीब ₹134 करोड़ का संग्रह दर्ज किया गया। यह प्रवृत्ति बताती है कि मुंबई और बेंगलुरु जैसे वित्तीय व तकनीकी केंद्र क्रिप्टो निवेश और ट्रेडिंग के सबसे बड़े हब बनकर उभर रहे हैं, जहां निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
क्यों बढ़ा क्रिप्टो टैक्स वसूली और इसका मतलब
1 % TDS प्रावधान (जो जुलाई 2022 में लागू हुआ) का असर अब स्पष्ट दिख रहा है। लेन-देन और ट्रेडिंग में तीव्र वृद्धि से टैक्स वसूली में बड़ा उछाल आया है। चूंकि हर क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन पर 1 % TDS कटता है, इससे सरकार को इन डिजिटल लेन-देन पर नजर रखने में मदद मिल रही है। ये डेटा विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि क्रिप्टो को पारंपरिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ना आसान नहीं है।
क्रिप्टो को वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) माना जाता है, और उनकी बिक्री या ट्रांसफर पर जमा हुए मुनाफे पर 30 % टैक्स लगता है। यह दर अप्रैल 2022 से लागू है। इसके अलावा, हर ट्रांज़ैक्शन पर 1 % टीडीएस लागू होता है। सरकार की निगरानी बढ़ी है।
कुछ क्रिप्टो एक्सचेंजों पर जांच हुई। रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ एक्सचेंजों ने टीडीएस कटौती में चूक की। ₹39.8 करोड़ की टीडीएस वसूली न हुई और ₹125.79 करोड़ की अघोषित आय सामने आई। बड़े पैमाने पर सर्वे में लगभग ₹888.82 करोड़ की अघोषित आय पाई गई।
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निवेशकों और बाजार पर प्रभाव
1 % टीडीएस ने सरकार को भारत में कितने लोग क्रिप्टो से लेन-देन कर रहे हैं, इसका मोटा अनुमान देता है। इससे अब तक की अनचाही काला बाजार की मात्रा की तस्वीर स्पष्ट हो रही है।
ऐसे निवेशक जिनकी गतिविधियाँ अनियमित रही हों, उन्हें अब टैक्स नोटिस, सूचना-पत्र या जोड़-तोड़ का सामना करना पड़ सकता है। यह निर्गमन के समय ध्यान देने की आवश्यकता बढ़ाता है।
वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) अब टीडीएस काटने और रूटीन रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए दायित्व में हैं। जो अनुपालन नहीं करेंगे, उन पर नोटिस या कार्रवाई हो सकती है।
चुनौतियाँ और सूक्ष्म पहलू
हालांकि टीडीएस डेटा उपलब्ध हो रहा है, पर अभी इनकम टैक्स रिटर्न्स से रीयल-टाइम मिलान नहीं होता। यानी टैक्स डिपार्टमेंट अभी भी डेटा रजिस्टरिंग और बाद के विश्लेषण पर निर्भर है।
सिर्फ टीडीएस वसूली से पूरी क्रिप्टो गतिविधि को ट्रैक करना संभव नहीं। ऑफशोर एक्सचेंजों या ग़ैर-रिपोर्टेड ट्रांज़ैक्शनों का डेटा अभी अधूरा है, जिसे सरकार तकनीकी व डेटा एनालिटिक्स के ज़रिए पकड़ने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष
2024-25 में ₹512 करोड़ की टीडीएस वसूली यह दर्शाती है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग अब अधिक व्यापक, सक्रिय और नियमित हो चुकी है। एक प्रतिशत टीडीएस और तीस प्रतिशत कर की व्यवस्था ने सरकार को डिजिटल एसेट्स की आर्थिक स्थिति पर बेहतर निगरानी का साधन दिया है।
हालांकि ट्रैकिंग और अनुपालन में चुनौतियाँ बाकी हैं, लेकिन यह रुझान स्पष्ट है कि भारत अब क्रिप्टो को सिर्फ उभरती प्रवृत्ति के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि इसे कर और नियामक दायरे में ला रहा है। निवेशकों और प्लेटफॉर्म दोनों के लिए अब पारदर्शिता, रिपोर्टिंग और कानूनी अनुपालन एक अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है।
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