रेटिंग एजेंसी Moody’s ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वर्षों में सालाना लगभग 6.5 % की दर से बढ़ सकती है। मूडीज़ ने अपनी 'ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2026-27' रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि भारत अगले साल में भी 6.5 % की रेटिंग से आगे है।
उन्होंने यह भारत के मजबूत अधोसंरचना खर्च, घरेलू कुटीर और उपभोक्ता बाजारों के विविधीकरण जैसी बातों से बातों से जोड़कर देखी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निजी क्षेत्र की पूंजी अभी सावधानी से आगे चल रही है, जो लंबे समय तक निवेश के दृष्टिकोण से कुछ घट सकते हैं।
मूडीज़ का मानना है कि भारत में Monetary Policy मौजूदा रूप से तटस्थ-से आसान की ओर है तथा Inflation नियंत्रण में बनी हुई है। इन कारकों से आर्थिक गतिविधि को सहायता मिल रही है। रिपोर्ट में सर्वोत्तम गति के पीछे कुछ प्रमुख तत्व चिन्हित किए गए हैं। भारत में विशाल स्तर पर अधोसंरचना निवेश हो रहा है जैसे सड़क, रेलवे, ऊर्जा एवं परिवहन नेटवर्क में खर्च।
घरेलू उपभोक्ता मांग मजबूत बनी हुई है, जिससे आर्थिक चाल में निरंतरता बनी हुई है। भारत के निर्यात-मार्गों में बदलाव देखने को मिल रहा है, विशेष रूप से जब अमेरिका में कुछ उत्पादों पर उच्च शुल्क लगे, तब निर्यातकों ने अन्य बाज़ारों की ओर रुख किया।
विदेशी Capital Inflows सकारात्मक बना हुआ है, जिससे बाह्य झटकों का सामना करने में सहायता मिल रही है। वहीं चुनौतियों की ओर देखें तो निजी क्षेत्र की पूँजी व्यय अभी भी अपेक्षाकृत धीमी गति से बढ़ रही है, जिसका असर दीर्घ-अवधि निवेश एवं उत्पादन क्षमता विस्तार पर पड़ सकता है।
वैश्विक व्यापार-तनाव, विशेष रूप से अमेरिकी शुल्क एवं शिपिंग लागत में वृद्धि, भारत के लिए जोखिम के रूप में मौजूद हैं। यदि मुद्रास्फीति की गति पुनः बढ़ जाती है या वैश्विक वित्तीय स्थितियाँ अस्थिर होती हैं, तो मौद्रिक नीति को सख्त करना पड़ सकता है, जिससे विकास पर असर पड़ सकता है।
ग्लोबल सन्दर्भ में भारत की स्थिति
रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि विश्व अर्थव्यवस्था अगले दो वर्षों (2026-27) में लगभग 2.5-2.6 % की वृद्धि दर पर रहेगी। इसके मुकाबले, भारत 6.5 % की दर से बढ़ने वाला प्रमुख उभरता हुआ देश होगा, जो उसे G20 में सबसे तेज़ विकासकर्ता अर्थव्यवस्था बनाता है।
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निजी क्षेत्र में पूँजी व्यय को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश-अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। कर प्रोत्साहन, सरल नियम-व्यवस्था एवं वित्त-संकट की रोकथाम जैसे उपाय महत्वपूर्ण होंगे।
निर्यात-विविधीकरण को और तेज करना होगा, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ अमेरिकी शुल्क या अन्य व्यापार-परेशानियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
अधोसंरचना खर्च को निरंतर बनाए रखना होगा, लेकिन साथ ही उसकी गुणवत्ता एवं वितरण-क्षमता पर भी ध्यान देना होगा। मुद्रास्फीति और वित्त-नियंत्रण की निगरानी सतर्कता से करनी होगी ताकि आर्थिक वृद्धि टिकाऊ बने।
निष्कर्ष
Moody’s द्वारा प्रदान किया गया यह अनुमान जहाँ भारत के विकास-पथ की सकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करता है, वहीं यह यह भी दर्शाता है कि चुनौतियाँ अभी समाप्त नहीं हुई हैं।
यदि घरेलू खपत मजबूत बनी रहे, निवेश प्रवाह जारी रहे और वैश्विक माहौल अनुकूल बना रहे, तो भारत 2027 तक 6.5 % की दर से विकास कर सकता है।
लेकिन इसके लिए नीति-सुदृढ़ता, निजी निवेश का सक्रिय भागीदारी और वैश्विक झटकों से निपटने की क्षमता अहम रहेगी।
इस तरह, भारत का अगला दो-तीन वर्ष विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है, साथ ही यह एक परीक्षण भी होगा कि ऐसे अनुमानित लाभ कितने टिकाऊ बन पाते हैं।
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