भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा है कि दुनिया भर में बढ़ते व्यापार एवं टैरिफ संघर्षों के बावजूद, भारत की आर्थिक वृद्धि और उसकी लचीलापन डिगा नहीं है। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन-2025 के उद्घाटन सत्र में आज उन्होंने यह भी कहा कि भारत की वृद्धि घरेलू खपत, निवेश और सुधारों से मजबूती से जुड़ी है, इसलिए बाहरी झटके सब तक नहीं पहुँच पाते।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का विचार अपनाते हुए भी दुनिया से खुद को अलग नहीं कर रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में संलग्न रहते हुए अपनी रणनीति तैयार कर रहा है।
वैश्विक संरचना में बदलाव
सीतारमन ने कहा कि वर्तमान समय केवल एक अस्थायी व्यापार समस्या नहीं है, बल्कि वैश्विक व्यवस्था के पुनर्गठन का दौर है। उन्होंने यह तर्क दिया कि अब पुराने वैश्वीकरण-मॉडल की जगह नए व्यापार समझौतों, प्रतिकरणों और क्षेत्रीय साझेदारियों की भूमिका बढ़ रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यूएस द्वारा भारत पर लगभग 50 % की दर से टैरिफ लगाने जैसे कदम, आपूर्ति शृंखलाओं को फिर से व्यवस्थित कर रहे हैं और व्यापार गलियारों को फिर से रेखांकित कर रहे हैं।
क्या आप जानते हैं — विश्लेषकों का कहना है कि बिटकॉइन कीमत का $300K लक्ष्य 'तेज़ी से बढ़ रहा है'
घरेलू आधार मजबूत करना
वित्त मंत्री ने जोर दिया कि भारत ने पिछले कई वर्षों में “ग्रेसफुल” नीति बनाकर, पूंजीगत व्यय, निवेश, वित्तीय समावेशन और सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
उनका मानना है कि भारत की यह आंतरिक मजबूती ही वह सुरक्षा कवच है, जो उसे बाहरी झटका सहने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा:
हमारी वृद्धि घरेलू कारकों पर आधारित है, इसलिए बाहरी झटकों का असर कम होता है।
सीतारमन ने यह प्रस्ताव रखा कि भारत को न केवल आर्थिक नीति में सतर्क रहना होगा, बल्कि वैश्विक संस्थाओं को अद्यतन करने और विकसित देशों के दबावों का सामना करने के लिए सशक्त होना चाहिए।
वास्तविकता और चुनौतियाँ
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8 % की वृद्धि दर से आगे बढ़ी, जो पिछले पाँच तिमाहियों में सबसे ऊँची वृद्धि थी। वहीं, पूरे साल के लिए अनुमानित वृद्धि दर लगभग 6.8 % हो सकती है, यदि वैश्विक दबावों का असर ज्यादा बढ़ जाए।
भारत ने इस वर्ष के लिए अभूतपूर्व पूंजीगत व्यय ₹11.21 लाख करोड़ (ट्रिलियन) का बजट रखा है, जिससे अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिल सके। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी नीतिगत दर 5.50 % पर बरकरार रखी है, और दिसम्बर माह में दरों में कटौती की संभावना को खुला रखा है।
हालाँकि, RBI के गवर्नर ने चेतावनी दी है कि यदि वैश्विक व्यापार नीति और टैरिफ अनिश्चितता बनी रही, तो कुछ अर्थव्यवस्थाएँ दीर्घकाल में प्रभावित हो सकती हैं।
सतर्कता के साथ आगे
निर्मला सीतारमन का संदेश स्पष्ट — भारत की वृद्धि अडिग है, लेकिन आत्मसंतुष्टि स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने “शांत आत्मविश्वास” के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। भविष्य में यदि भारत 8 % की वृद्धि दर हासिल कर सके, तो यह न सिर्फ आर्थिक रूप से समर्थ बनेगा, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकेगा।
हालाँकि, चुनौतियाँ कम नहीं हैं — टैरिफ दबाव, वैश्विक व्यापार संरचना में बदलाव, ऊर्जा मूल्य वृद्धि आदि — लेकिन सरकार का आकलन है कि भारत की आंतरिक आधार और सतत सुधारों की नीति इसके लिए पर्याप्त रक्षा तंत्र बन सकती है।
ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!