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RBI ₹3 ट्रिलियन तरलता इंजेक्शन की तैयारी में, बैंकिंग सिस्टम में बढ़ेगी नकद की उपलब्धता

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ₹3 ट्रिलियन की तरलता इंजेक्शन योजना लागू करेगा। OMO के तहत सरकारी बॉन्ड खरीद और USD/INR स्वैप से बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ेगी।

RBI ₹3 ट्रिलियन तरलता इंजेक्शन की तैयारी में, बैंकिंग सिस्टम में बढ़ेगी नकद की उपलब्धता
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों के तरलता संकट को कम करने और मौद्रिक स्थिति को स्थिर रखने के लिए लगभग ₹3 ट्रिलियन बैंकिंग प्रणाली में इंजेक्ट करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस कदम से बैंकों को क्रेडिट उपलब्धता बढ़ाने, वित्तीय बाजारों में स्थिरता लाने और कर्ज़ देने की क्षमता और मजबूत करने की उम्मीद है।

खुली बाजार संचालन (OMO) के तहत ₹2 ट्रिलियन सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और USD/INR 3-साल की बाय/सेल स्वैप के जरिए यह तरलता प्रवाह सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि वित्तीय स्थिरता और बैंकिंग प्रणाली की नकदी आवश्यकताएं पूरी हों। 

RBI की क्या प्लानिंग है?

भारतीय केंद्रीय बैंक की यह रणनीति मुख्यतः खुली बाजार संचालन और विदेशी मुद्रा बाय-सेल स्वैप के संयोजन पर आधारित है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, RBI के पास अपने इस बड़े कदम को पूरा करने के लिए एक अच्छी स्ट्रेटेजी है।

  • ₹2 ट्रिलियन सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद: RBI चार बराबर हिस्सों में ₹50,000 करोड़ की सरकारी बांड खरीद करेगा - 29 दिसंबर 2025, 5 जनवरी, 12 जनवरी और 22 जनवरी 2026 को। यह कदम बैंकिंग प्रणाली में दूरगामी तरलता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

  • $10 अरब USD/INR बाय-सेल स्वैप: 13 जनवरी 2026 को आयोजित होने वाली यह तीन-साल की डील के तहत RBI बैंकों से अमेरिकी डॉलर खरीदकर उन्हें रुपयों में भुगतान करेगा और तीन साल बाद वही डॉलर वापस खरीदेगा। इससे तत्काल रुपये की तरलता व्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

समय पर लिया गया निर्णय

विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम तरलता की तंगी, विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप और मौसमी नकदी निकासी को देखते हुए समय पर लिया गया है। RBI ने हाल ही में रुपया की गिरावट को रोकने के लिए विदेशी मुद्रा बेचकर उसे स्थिर किया, जिससे बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी उत्पन्न हुई थी।

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विशेषज्ञों के अनुसार, यह तरलता इंजेक्शन न सिर्फ बैंकों को ऋण देने की क्षमता बढ़ाएगा बल्कि बांड बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव डालने की संभावना है, जिससे सरकारी प्रतिभूतियों की उपज पर भी नियंत्रण रखने में मदद मिल सकती है।

RBI की मौद्रिक भूमिका और उद्देश्य

भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रमुख उद्देश्य मुद्रा स्थिरता बनाए रखना, अर्थव्यवस्था में विश्वास जगाना और वित्तीय बाजारों को संतुलित करना है। खुली बाजार संचालन और विदेशी मुद्रा स्वैप जैसे उपकरणों के माध्यम से, RBI लगातार नकदी की आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन बनाये रखता है।

बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होने से छोटे और मध्यम व्यवसायों को भी कर्ज़ की उपलब्धता में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह कदम 2025 के अंत में बाजार में मांग और बढ़ते ब्याज दरों के दबाव को संतुलित करने में भी सहायक माना जा रहा है।

निष्कर्ष

RBI का यह ₹3 ट्रिलियन तरलता इंजेक्शन बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने, बाजार में स्थिरता लाने और आर्थिक विकास को बनाए रखने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। सरकारी प्रतिभूतियों की चयनात्मक खरीद और विदेशी मुद्रा स्वैप के माध्यम से यह पहल नकदी प्रवाह को सुचारू रूप से बनाए रखने के साथ ही बैंकिंग और वित्तीय की मजबूती सुनिश्चित करेगी, जिससे व्यापक आर्थिक हित को बढ़ावा मिलेगा।

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