महत्वपूर्ण बिंदु
सितंबर 2025 में राष्ट्रीय खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) 1.54% दर्ज हुई, यह जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
खाद्य मुद्रास्फीति चौथे लगातार महीने नकारात्मक रही; सब्ज़ियों, फल, दालें और अनाज की कीमतो में सालाना गिरावट प्रमुख कारण रही।
कोर-मुद्रास्फीति (खाद्य और ऊर्जा को हटाकर) 4.5% के आसपास बनी हुई है; इसका मतलब है कि सेवाएँ, मिसाल के तौर पर घर का किराया और सोना महँगा रह सकता है।
सरकार की हालिया GST दर समायोजन और मौद्रिक नीति के पिछले कटौती-प्रवाह से आरबीआई के पास नीतिगत दर घटाने के लिए वैचारिक जगह बन रही है, पर फैसला आर्थिक गतिविधि और मुद्रास्फीति-ट्रेण्ड पर निर्भर होगा।
सितंबर 2025 का CPI डेटा (MoSPI) स्पष्ट करता है कि headline inflation गंभीर रूप से ठंडी पड़ चुकी है। 1.54% पर आना संकेत देता है कि उपभोक्ता-स्तर पर कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम बढ़ीं या कुछ मामलों में घटीं। प्रमुख ड्राइवर खाद्य कीमतों की सालाना गिरावट रही - खासकर सब्ज़ियों में तेज कमी जिसने कुल सूचकांक को नीचे धकेला। बेस-इफ़ेक्ट (पिछले साल के उच्च आधार के आभाव) ने इस गिरावट को और बढ़ाया।
खाद्य-मूल्य की निरंतर नकारात्मकता अस्थायी और मौसमी दोनों कारणों से जुड़ी हो सकती है। सब्ज़ी-कीमतें मौसमी फसलों, बेहतर आपूर्ति-शृंखलाओं और पिछले साल की तुलना में अधिक उत्पादन के कारण घट सकती हैं। परन्तु खाद्य-चक्र अक्सर अस्थिर होते हैं; एक बेमौसमी लो तकनीकी या बारिश-घाटा आसानी से कीमतों को उछाल सकता है। इसलिए खाद्य-मुद्रास्फीति की यह चलन अल्पावधि के लिए सुकून दे सकती है, पर दीर्घकालीन अर्थव्यवस्थिक निर्णयों में इसे सावधानी से लिया जाना चाहिए।
दूसरी ओर कोर-मुद्रास्फीति (जिसमें ऊर्जा और खाद्य छोड़कर बाकी की कीमतें मापी जाती हैं) लगभग 4.5% पर रहने का अर्थ है कि आधारभूत मांग-दबाव और कुछ सेवा-क्षेत्रों में कीमतें अभी भी ऊँची बनी हुई हैं। इसमें रियल एस्टेट या किराये से संबंधित खर्च, स्वास्थ्य-सेवाएँ, शिक्षा, और सोने जैसी कमोडिटीज़ का योगदान दिखता है। यदि कोर-मुद्रास्फीति 4% से ऊपर कायम रहती है तो यह आरबीआई के लिए चेतावनी हो सकती है कि बहुत जल्दी नीति दरें घटाने से इन्फ्लेशन एक बार फिर उछल सकता है।
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मौद्रिक और राजकोषीय-नीति के परिप्रेक्ष्य में हालिया घटनाक्रम मायने रखते हैं। इस साल आरबीआई ने पहले ही कुछ बार दरों में बदलाव किए हैं और बाजार में यह उम्मीद बन रही है कि एक और 25 बेसिस-पॉइंट कट संभव है यदि मुद्रास्फीति स्थिर रहती है और आर्थिक विकास कमजोर नहीं होता।
साथ ही, केंद्रीय सरकार द्वारा कुछ वस्तुओं पर GST दरों में राहत/समायोजन (सितंबर के अंत में प्रभावी) का पूर्ण प्रभाव अक्टूबर के CPI पर दिखेगा - जिसका मतलब है कि अगले महीने के आंकड़े और भी नरम आ सकते हैं। परन्तु उत्सव-मौसम की मांग और ईंधन-कीमतों की दिशा जैसी घटक अनिश्चितताएँ बनी रहती हैं।
क्षेत्रीय और ग्रामीण-शहरी विभाजन भी उल्लेखनीय है: ग्रामीण inflation में भी गिरावट दर्ज हुई है, लेकिन शहरों में कुछ सेवात्मक दबाव अधिक दिखाई दिए। MoSPI के विवरण में राज्यवार भिन्नताएँ भी हैं; कुछ राज्यों में कीमतों में नरमी कहीं और तेज़ी देखी जा सकती है, जो आपूर्ति-श्रृंखला और स्थानीय मौसमी कारकों पर निर्भर करता है। नीति-निर्माताओं के लिए यह संकेत है कि फेडरल-स्ट्रैटेजी बनाते समय क्षेत्रीय संवेदनशीलताओं को भी ध्यान में रखना होगा।
निष्कर्ष
संपूर्णता में, सितंबर 2025 का डेटा अच्छा समाचार है; उपभोक्ता-स्तर पर महंगाई कम होने से खरीदारों की क्रय-शक्ति को सहारा मिल सकता है और नीति-निर्माताओं को दरों में नरमी के विकल्प पर विचार करने का अवसर मिलता है।
फिर भी, जोखिम सुनिश्चित हैं: खाद्य-मुद्रास्फीति फिर से उछल सकती है, कोर-मुद्रास्फीति अभी व्यवस्थित रूप से 2–6% के लक्ष्य-बैंड के मध्य में है, और GST/मौसमी प्रभावों का पूर्ण ऐक्टिवेशन अभी भी अक्टूबर डेटा में स्पष्ट होगा।
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