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दक्षिण कोरिया ने स्टेबलकॉइन नियमों की समयसीमा तय की: 10 दिसंबर अंतिम तारीख

दक्षिण कोरिया की सत्तारूढ़ पार्टी ने 10 दिसंबर तक स्टेबलकॉइन विनियमन विधेयक प्रस्तुत करने के लिए वित्तीय नियामकों को अल्टीमेटम दिया है।

दक्षिण कोरिया ने स्टेबलकॉइन नियमों की समयसीमा तय की: 10 दिसंबर अंतिम तारीख
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दक्षिण कोरिया में क्रिप्टो और डिजिटल परिसंपतियों की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, सरकार स्टेबलकॉइन को कानून के दायरे में लाने जा रही है।

1 दिसम्बर 2025 को प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, देश की सत्तारूढ़ पार्टी ने वित्तीय निगरानी निकायों, विशेष रूप से बैंक ऑफ कोरिया और फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन को 10 दिसंबर तक स्टेबलकॉइन पर नियामक रूपरेखा पेश करने का अंतिम नोटिस भेजा है।

विधेयक पेश न होने की स्थिति में, सांसदों ने स्पष्ट किया है कि वे खुद अपना कानून लेकर आएंगे। अगर नियामक समय पर ड्राफ्ट जमा कर देते हैं, तो यह विधेयक अनुमानित रूप से जनवरी 2026 में आयोजित होने वाले विशेष सत्र में संसद की मंजूरी के लिए जाएगा।

मॉडल पर विवाद: बैंक-केंद्रित या खुला इकोसिस्टम?

दक्षिण कोरिया में विवाद इस बात को लेकर है कि स्टेबलकॉइन जारी करने के लिए किस प्रकार की संस्था की जिम्मेदार होगी । देश के केंद्रीय बैंक BOK का कहना है कि ऐसी क्रिप्टो को जारी करने में बैंकों को प्रमुख भूमिका देनी चाहिए। उनके अनुसार, बैंक पहले से ही कड़ी नियामक निगरानी में हैं और Anti-Money Laundering (AML) जैसे नियंत्रणों से परिचित हैं। इसलिये बैंक नियंत्रित मॉडल वित्तीय स्थिरता के लिए अनिवार्य है।

लेकिन दूसरी ओर, FSC तथा अन्य नियामक व विधायकों की चिंता है कि यदि केवल बैंक ही जारीकर्ता बने, तो इससे नवाचार और प्रतिस्पर्धा बाधित होगी। वे चाहते हैं कि टेक्नोलॉजी कंपनियों और अन्य गैर-बैंक संस्थानों को भी अवसर मिले। 

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हालाँकि बैंकों द्वारा 51% या उससे अधिक हिस्सेदारी वाले कंसोर्टियम (संयुक्त संगठन) की बात पहले सामने आ चुकी थी, लेकिन अभी इस मॉडल पर सहमति नहीं बनी है। FSC ने स्पष्ट किया है कि स्थायी रूप से कोई निर्णय नहीं हुआ है।

इस विवाद ने स्टेबलकॉइन पर कानूनी फ्रेमवर्क की तैयारियों को महीनों के लिए स्थगित कर रखा था। लेकिन अब 10 दिसंबर की अल्टीमेटम इसे तेज गति देने की दिशा में है।

कानून लागू होने के बाद क्या बदलेगा?

इस नए विधेयक का उद्देश्य देश में एक कोरियन-स्टाइल स्टेबलकॉइन प्रणाली बनाना है, जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा के साथ क्रिप्टो की लचीलापन दे। नई विधि से केवल स्टेबलकॉइन ही नहीं, बल्कि विदेशी स्टेबलकॉइन जैसे USDT/USDC को भी नियमों के दायरे में लाया जाएगा।

इसके अलावा, नियामकों ने घोषणा की है कि नए कानून में Anti-Money Laundering (AML), KYC व ट्रैवल-रूल जैसी कड़े प्रावधान होंगे ताकि डिजिटल करेंसी का दुरुपयोग रोका जा सके।

एक बार कानून बन जाने पर, स्टेबलकॉइन को भुगतान माध्यम के रूप में कानूनी मान्यता मिलेगी। इससे न केवल क्रिप्टो एक्सचेंज बल्कि रोज़मर्रा के डिजिटल भुगतान, रेमिटेंस और फिनटेक उपयोग के लिए भी स्टेबलकॉइन महत्वपूर्ण हो सकेंगे।

वैश्विक प्रगति और कोरिया की रणनीति

2025 में अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान ने स्टेबलकॉइन नियमों को कड़ा किया है, जिसके चलते दक्षिण कोरिया इस प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं रहना चाहता।

कोरिया के प्रौद्योगिकी के अनुकूल माहौल और बड़ी संख्या में क्रिप्टो निवेशकों को देखते हुए, देश की नियामक प्रणाली में जल्द पारदर्शिता और स्पष्टता लाना निवेशकों व फिनटेक कंपनियों दोनों के लिए अहम माना जा रहा है।

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निष्कर्ष

दुनिया में डिजिटल परिसंपतियों की बढ़ती लोकप्रियता और स्टेबलकॉइन की भूमिका को देखते हुए, दक्षिण कोरिया ने समय-सीमा देकर स्पष्ट संदेश दे दिया है। या तो आप तय करें कि स्टेबलकॉइन कैसे चलेगा या हम कानून लाकर तय कर देंगे। 10 दिसंबर की अल्टीमेटम के बाद अगर नियामक प्रस्ताव नहीं लाते, तो संसद मध्यरात्रि तक इंतज़ार नहीं करेगी।

दक्षिण कोरिया का यह कदम न सिर्फ क्रिप्टो उद्योग के लिए अहम है बल्कि कोरिया की वित्तीय सुरक्षा, मौद्रिक स्थिरता और टेक्नोलॉजी नवाचार के लिए भी निर्णायक साबित हो सकता है। स्टेबलकॉइन नियमों के आने से बैंक, टेक्नोलॉजी कंपनियाँ, एक्सचेंज और आम उपयोगकर्ता के लिए नया परिदृश्य बन सकता है।

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