क्रिप्टो बाजार में आज एक बार फिर चर्चा का केंद्र बनकर उभरा है यूनिस्वैप प्रोटोकॉल और उसके मूल टोकन UNI। यूनिस्वैप फ़ाउंडेशन तथा यूनिस्वैप लैब्स द्वारा पेश किया गया नया प्रस्ताव ‘UNIfication’ ने निवेश-समुदाय को उत्साहित कर दिया है, जिसके चलते UNI में लगभग 38 % से भी अधिक तेजी दर्ज की गई है।

यह प्रस्ताव दो मुख्य बिंदुओं पर आधारित है: पहला, प्रोटोकॉल-स्तर पर ‘फीस स्विच’ को सक्रिय करना अर्थात ट्रेडिंग फीस का एक भाग UNI टोकनधारकों या उनके बर्न मैकेनिज्म में भेजा जाना। दूसरा, एक बड़े पैमाने पर बर्न प्रोग्राम, ट्रेजरी से UNI टोकन को जला देना ताकि सप्लाई कम हो और मांग बढ़ सके।

प्रस्ताव के अनुसार, यूनिस्वैप ट्रेजरी से लगभग 10 करोड़ UNI टोकन (लगभग 16 % चालू आपूर्ति) को बर्न करने की योजना है, जिससे UNI टोकन के बचे हुए हिस्से पर मांग-दबाव बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त, यूनिस्वैप के लेयर-2 नेटवर्क Unichain द्वारा अर्जित फीस, जिसे पहले 9 महीनों में लगभग 7.5 मिलियन डॉलर वार्षिक रूप से इकट्ठा किया गया था, उसे भी बर्न मैकेनिज्म में समाहित किया जाएगा।

यह बदलाव UNI टोकन के लिए दो दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। एक ओर यह टोकन धारकों को सीधे या परोक्ष रूप से लाभान्वित करने का संकेत है, दूसरी ओर यह टोकन की कुल आपूर्ति पर असर डालकर परिधि दबाव को कम करके दीर्घकालीन मूल्य समर्थन बनाने की कोशिश है।

मूल बाजार प्रतिक्रिया भी इसके अनुरूप रही है। इस खबर के बाद UNI का मूल्य 38.5 % तक बढ़कर लगभग 9.70 डॉलर तक पहुँच गया। इस उछाल के साथ ही UNI का मार्केट कैप लगभग 6 अर्ब डॉलर को पार कर गया, जिससे यह क्रिप्टोमुद्राओं की सूची में शीर्ष 34वें स्थान पर भी आ गया।

यूनिस्वैप वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा विकेंद्रीकृत एक्सचेंज (DEX) है। इसे नवंबर 2018 में लॉन्च किया गया था और अब तक इसने लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर का लेनदेन प्रोसेस किया है।

यूनिस्वैप फाउंडेशन ने इस बदलाव को प्रोटोकॉल के अगले युग के रूप में परिभाषित किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि विकास, अनुदान और DeFi बिल्डर्स को समर्थन देना जारी रहेगा।

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इस दिशा में पहली क़दम के तौर पर विकास बजट भी तय किया गया है। इसमें 2 करोड़ UNI टोकन अलग रखे गए हैं, जिन्हें तिमाही आधार पर विकास, इकोसिस्टम विस्तार एवं प्रोटोकॉल सुधार हेतु वितरित किया जाएगा।

विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रस्ताव तकनीकी सुधार व टोकनोमिक्स सुधार दोनों का संयोजन है। उदाहरण के लिए, एक लेख में कहा गया है कि फीस स्विच और 100 मिलियन UNI बर्न प्लान UNI को संभावित रूप से 15 डॉलर के लक्ष्य की ओर ले जा सकता है।

हालाँकि, इस प्रस्ताव के सामने चुनौतियाँ भी हैं। ‘फीस स्विच’ के अंतर्गत यदि ट्रेडिंग फीस का एक हिस्सा LPs (लिक्विडिटी प्रदाताओं) से कटकर UNI टोकनधारकों को जाएगा, तो LPs की आय पर असर पड़ सकता है।

इसके साथ ही, नेटवर्क राजस्व को सीधे टोकनधारकों को बाँटने की प्रक्रिया पर नियामक जोखिम भी मंडरा रहा है, क्योंकि यह किसी प्रकार का ‘डिविडेंड’ जैसा वितरण माना जा सकता है।

इस पृष्ठभूमि में यूनिस्वैप ने यह सुझाव दिया है कि वे एक कानूनी इकाई के रूप में अपना शासन संरचना तैयार करें ताकि फीस-स्विच को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।

निष्कर्ष

UNI टोकन इस प्रस्ताव के बाद न सिर्फ भावनात्मक रूप से बल्कि संरचनात्मक रूप से भी सशक्त बनता दिख रहा है। निवेशकों के लिए यह एक संकेत है कि यूनिस्वैप ने नयी रणनीति अपनाई है, जहां टोकनधारकों, विकासकर्ताओं और प्रोटोकॉल-समुदाय के हितों को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

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