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भारत की वित्तीय अपराधों पर कड़ी कार्रवाई ने बनाया वैश्विक मानक, FATF रिपोर्ट में मिली सराहना

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की नई रिपोर्ट में भारत की अवैध संपत्ति ट्रेसिंग, फ्रीजिंग और रिकवरी की सफलता को ‘ग्लोबल बेंचमार्क’ बताया गया है ।

भारत की वित्तीय अपराधों पर कड़ी कार्रवाई ने बनाया वैश्विक मानक, FATF रिपोर्ट में मिली सराहना
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भारत की वित्तीय अपराधों के खिलाफ मुहिम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मान्यता मिली है। पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ताजा रिपोर्ट “एसेट रिकवरी गाइडेंस एंड बेस्ट प्रैक्टिसेज” में भारत को प्रभावी एसेट रिकवरी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने का अग्रणी उदाहरण बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की संस्थाओं, विशेष रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ED), ने अवैध संपत्ति को ट्रेस करने, फ्रीज करने और वापस लौटाने के मामलों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

FATF एक अंतर-सरकारी संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद फाइनैंसिंग और सामूहिक विनाश के हथियारों के फंडिंग से निपटने के लिए वैश्विक मानक तय करता है।

इस रिपोर्ट में भारत की कानूनी संरचना और प्रवर्तन की क्षमता को ‘व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी’ बताया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत ED को मजबूत अधिकार प्राप्त है, जिससे वह बिना पूर्व न्यायिक आदेश के भी संदिग्ध संपत्तियों को जब्त या फ्रीज कर सकता है।

FATF ने इसे त्वरित और प्रभावी एसेट रिकवरी का महत्वपूर्ण मॉडल बताया है, जो अब अन्य देशों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा।

एग्री गोल्ड स्कैम बना सफलता का प्रतीक

FATF रिपोर्ट में जिन मामलों को विशेष रूप से उजागर किया गया है, उनमें आंध्र प्रदेश का एग्री गोल्ड स्कैम प्रमुख है।

इसमें प्रवर्तन निदेशालय और राज्य पुलिस के संयुक्त अभियान से निवेश धोखाधड़ी के हजारों पीड़ितों के लिए ₹60 बिलियन (लगभग $690 मिलियन) की संपत्ति की रिकवरी संभव हुई। FATF ने इसे “पीड़ित-केंद्रित एसेट रिकवरी के उत्कृष्ट उदाहरण” के रूप में वर्णित किया है।

क्रिप्टोकरेंसी घोटालों पर तेज प्रहार

भारत की एजेंसियों ने डिजिटल मुद्रा आधारित अपराधों में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। रिपोर्ट में बिटकनेक्ट पोंजी स्कीम का उदाहरण दिया गया है, जिसमें जांच एजेंसियों ने ₹16.46 बिलियन ($190 मिलियन) मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की और ₹4.89 बिलियन ($56 मिलियन) की अन्य संपत्तियां अटैच की।

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FATF ने सराहा कि भारतीय अधिकारियों ने डिजिटल एसेट्स को कोल्ड वॉलेट में सुरक्षित रखकर उनकी कीमत संरक्षित की जो वैश्विक स्तर पर एसेट मैनेजमेंट की सर्वोत्तम प्रथाओं में गिना गया।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल

भारत का अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग भी FATF रिपोर्ट में विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। बनमीत सिंह केस में अमेरिकी अनुरोध पर भारत ने ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े 268 बिटकॉइन (₹1.3 बिलियन, लगभग $29 मिलियन) जब्त किए और $1.1 मिलियन की अन्य संपत्तियां अटैच की। FATF ने इसे “क्रॉस-बॉर्डर सहयोग का प्रेरक उदाहरण” बताया है।

रिपोर्ट में रोज वैली और पेन अर्बन कोऑपरेटिव बैंक जैसे भारतीय मामलों को भी शामिल किया गया है, जिनमें एसेट रिकवरी के बाद सीधे निवेशकों को भुगतान किया गया। रोज वैली मामले में ₹5.38 बिलियन ($62.8 मिलियन) की अटैच संपत्तियों से 75,000 से अधिक निवेशकों को रिफंड मिला। 

वहीं, पेन अर्बन बैंक केस में ₹2.9 बिलियन ($33.2 मिलियन) की बेनामी संपत्तियां राज्य अधिकारियों को सौंप दी गईं ताकि जमा करने वालों को मुआवजा दिया जा सके। FATF ने इन कदमों को “न्यायसंगत और जन-केंद्रित प्रवर्तन दृष्टिकोण” करार दिया है।

भारत की भूमिका और वैश्विक प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने FATF के नए फ्रेमवर्क को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसमें केवल जब्ती तक सीमित न रहते हुए अनएक्सप्लेन्ड वेल्थ ऑर्डर, नॉन-कन्विक्शन बेस्ड कॉन्फिस्केशन और प्रारंभिक फ्रीजिंग पावर जैसे उपायों को अपनाने पर बल दिया गया है। FATF ने कहा कि भारत के अनुभव ने संगठन को “व्यावहारिक, सहयोगात्मक और पारदर्शी” एसेट रिकवरी तंत्र की दिशा में सोचने को प्रेरित किया है।

‘ग्लोबल बेंचमार्क’ बनी भारत की रणनीति

रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि भारत की कानूनी संरचना, प्रवर्तन एजेंसियों की दक्षता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की तत्परता ने उसे एसेट रिकवरी में “ग्लोबल बेंचमार्क” के रूप में स्थापित किया है। FATF ने सुझाव दिया है कि अन्य देश भारत के इस मॉडल से सीख लेकर अपने घरेलू और सीमा-पार वित्तीय अपराधों से निपटने की नीति को सुदृढ़ करें।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिपोर्ट न केवल भारत की वित्तीय पारदर्शिता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी विश्वसनीयता को भी मजबूत करती है। भारत अब न केवल अपनी सीमाओं के भीतर बल्कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में भी न्यायपूर्ण और जवाबदेह ढांचे की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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