भारत सरकार ने वर्चुअल डिजिटल एसेट (क्रिप्टोकरेंसी) प्लेटफ़ॉर्म पर एक और बड़ा कदम उठाते हुए 25 ऑफ़शोर (विदेशी) कंपनियों को नोटिस जारी किया है। वित्तीय खुफिया इकाई – इंडिया (FIU-IND) ने बताया कि ये कंपनियां भारतीय ग्राहकों को सेवाएं दे रही थीं लेकिन देश के मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA, 2002) के तहत पंजीकरण नहीं कराया था।

एफआईयू-इंडिया के अनुसार मार्च 2023 से यह कानूनी रूप से आवश्यक कर दिया गया था कि सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट सेवा प्रदाता (VDA SPs) देश के एंटी–मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण ढांचे का हिस्सा बनें। इसके बावजूद कई ऑफ़शोर कंपनियां भारत में सक्रिय थीं। इसी आधार पर धारा 13 के तहत कार्रवाई की गई है।

नोटिस पाने वाली कंपनियों में कई प्रमुख वैश्विक क्रिप्टो एक्सचेंज शामिल हैं, जैसे हुइओन (Huione), पैक्सफुल (Paxful), सीईएक्सडॉटआईओ (CEX.IO), एलबैंक (LBank), बिंगएक्स (BingX), कॉइनएक्स (CoinEx), पोलोनिक्स (Poloniex), बिटमेक्स (BitMex), बीटीसीसी (BTCC) और रेमिटानो (Remitano)।

आईटी अधिनियम के तहत वेबसाइट और ऐप पर रोक

एफआईयू-इंडिया ने इन कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे भारत में अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप्स की पहुंच बंद करें। यह आदेश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत दिया गया है। सरकार का कहना है कि भारत में बिना अनुमति संचालित हो रहे ऐसे प्लेटफ़ॉर्म न केवल कानून का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि निवेशकों को भी जोखिम में डाल रहे हैं।

50 कंपनियों ने कराया पंजीकरण

सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार अब तक लगभग 50 वर्चुअल डिजिटल एसेट सेवा प्रदाता एफआईयू-इंडिया में पंजीकृत हो चुके हैं। हालांकि, कई ऑफ़शोर कंपनियां अब भी नियमों से बाहर रहकर कारोबार कर रही हैं। इन पर निगरानी रखने और आवश्यकतानुसार सख्त कदम उठाने की प्रक्रिया जारी है।

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रिपोर्टिंग एंटिटी बनने की अनिवार्यता

भारत सरकार ने साफ किया है कि चाहे कोई कंपनी भारत में स्थित हो या विदेश से काम कर रही हो, यदि वह भारतीय निवेशकों को सेवाएं दे रही है तो उसे *रिपोर्टिंग एंटिटी* के रूप में पंजीकृत होना होगा। इसके साथ ही, उन्हें रिकॉर्ड रखने, ट्रांज़ैक्शन मॉनिटरिंग और ग्राहक की पहचान सुनिश्चित करने जैसी बाध्यताओं का पालन करना अनिवार्य है।

निवेशकों के लिए संदेश

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई से एक ओर जहां अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी, वहीं दूसरी ओर निवेशकों के हितों की भी सुरक्षा होगी। सरकार निवेशकों से अपील कर रही है कि वे केवल उन्हीं प्लेटफ़ॉर्म पर कारोबार करें जो भारत में पंजीकृत और नियामकीय ढांचे का पालन करते हैं।

निष्कर्ष

भारत की वित्तीय खुफिया इकाई का यह कदम क्रिप्टो बाजार को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। विदेशी प्लेटफ़ॉर्म्स पर शिकंजा कसने से न केवल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि भारतीय निवेशकों को भी एक सुरक्षित वातावरण मिलेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई देश में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक सुव्यवस्थित और जवाबदेह व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।

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