रेटिंग एजेंसी ICRA ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) Q2 FY2026 में 7% की मजबूती पर बढ़ी, जो Q1 FY2026 के 7.8% के प्रिंट से कम है।

ICRA ने रिपोर्ट में बताया कि Q2 में सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) वृद्धि भी संकुचित होकर लगभग 7.1% रही, जबकि Q1 में यह 7.6% पर दर्ज की गई थी। यह संकेत है कि अर्थव्यवस्था का विस्तार चौथाई आधार पर कुछ धीमा हुआ है।

रिपोर्ट का विश्लेषण बताते हैं कि Q2 में सेवाक्षेत्र की वृद्धि में स्पष्ट नरमी आई। सेवाएँ Q1 के लगभग +9.3% से घटकर Q2 में +7.4% पर आ गईं जिसका असर समग्र GDP पर पड़ा। दूसरी ओर, कृषि और औद्योगिक हिस्सों ने मिश्रित प्रदर्शन दिखाया, जबकि निजी उपभोग ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।

ICRA ने यह भी नोट किया कि निवेश गतिवता Q2 में धीमी पड़ी। मानसून-सम्बन्धी मौसमी व्यवधान और कुछ परियोजना पूर्णताओं में कमी के परिणामस्वरूप निवेश-संबंधी संकेतकों में गिरावट आई, जिससे पूँजीगत व्यय का योगदान पिछली तिमाही की तुलना में कमजोर दिखा।

पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ICRA ने GDP वृद्धि की अपनी पूर्वानुमानतालिका में संशोधन करते हुए अनुमानित वृद्धि करीब 6.5% रखी है। एजेंसी ने उल्लेख किया है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावित उन्मोचन प्रक्रिया और त्योहारों के सीज़न में मजबूती जैसी बफ़रिंग कारक H2 में वृद्धि के लिये सहायक हो सकते हैं, परन्तु वैश्विक व्यापार-नियमन व निर्यात-संबंधी असमंजसें जोखिम भी बन सकती हैं।

मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति

ICRA की रिपोर्ट ने मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति पर भी टिप्पणियाँ की हैं। GST दरों में संशोधन और घरेलू मांग के असर से CPI पर मध्यम प्रभाव के बावजूद, एजेंसी का मानना है कि RBI की नीतिगत रुख पर Q4 तक संभावित असर बहुधा समायोज्य रहेगा तथा अक्टूबर 2025 की नीति समीक्षा में टैग-अलाइन्स के चलते स्थैतिकता बनी रह सकती है। 

विश्लेषकों का कहना है कि Q1 का उच्च-तर बढ़त (7.8%) केवल लगातार नहीं रह सकती थी। कई उन्नत संकेतकों ने यह इशारा दिया था कि समर चरण में कुछ तीव्रता घट सकती है और Q2 का 7% भाव वास्तविक परिप्रेक्ष्य में सुदृढ़ रहने के बावजूद क्रमिक नरमी को दर्शाता है।

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इस परंपरा में अन्य एजेंसियों ने भी Q2 के लिये 7% के आसपास के अनुमानों का जिक्र किया है, जबकि कुछ एजेंसी जैसे Ind-Ra ने 7.2% तक का अनुमान लगाया है, जो निजी खपत की मजबूती पर निर्भर है।

उद्योग-विशेष प्रभाव

ICRA के विश्लेषण में कहा गया है कि वाहन, कृषि-उपकरण और कुछ विनिर्माण उप-श्रेणियों में मांग सकारात्मक बनी रही, पर भवन निर्माण और पूंजीगत सामान पर दबाव दिखा जिसका असर निवेश की समग्र गति पर पड़ा। साथ ही, सरकारी पूँजीगत व्यय Q1 में ऊपर रहने के बावजूद शेष तिमाहियों में उसकी तीव्रता गिरने से सालाना ताल पर दबाव पड़ सकता है।

नीति और जोखिम

ICRA ने वैश्विक निर्यात-मार्केट में अनिश्चितता, अमेरिकी-नियामक/शुल्क नीति के संभावित असर तथा घरेलू मौसमी असमानताओं को ऐसे प्रमुख जोखिमों के रूप में चिन्हित किया है जो आगे के तिमाही प्रिंटों को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, अगर घरेलू मांग त्योहारों के दौरान मजबूत बनी रहती है और किसी बड़े बहुराष्ट्रीय व्यापार समझौते का सकारात्मक प्रभाव साकार होता है तो H2 में सुधार के संकेत मिल सकते हैं।

निष्कर्ष

ICRA का ताजा आकलन दर्शाता है कि Q2 FY2026 में 7 की वृद्धि दर यह बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मज़बूत है, पर Q1 की रफ्तार के मुकाबले मध्यम सी मंदी की झलक है। यह स्थिति अगले दो तिमाहियों में नीतिगत फैसलों, निवेश-धारा और वैश्विक व्यापार-परिस्थितियों पर निर्भर रहेगी।


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