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क्रिप्टो में भारी जोखिम, इसलिए हम सतर्क: RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का क्रिप्टो और स्टेबलकॉइन पर चेतावनी, UPI और CBDC जैसे सरकारी डिजिटल नवाचारों को मिला समर्थन।

क्रिप्टो में भारी जोखिम, इसलिए हम सतर्क: RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन्स पर एक बार फिर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने साफ कहा कि इन निजी डिजिटल संपत्तियों में “भारी जोखिम” निहित है, इसलिए केंद्रीय बैंक इनसे दूरी बनाए हुए है और सतर्क रुख अपनाए हुए है।

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एक स्मृति व्याख्यान से संबोधित करते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की, जो भारत में क्रिप्टो नियमन पर जारी बहस के बीच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

मल्होत्रा ने कहा,

स्टेबलकॉइन्स, क्रिप्टो, इनमें भारी जोखिम है, इसलिए हम इसके प्रति बहुत सतर्क रुख अपना रहे हैं।

नई बहस

पिछले कुछ वर्षों में विश्वभर में कई क्रिप्टो परियोजनाओं के गिरने, धोखाधड़ी और निवेशकों के अरबों डॉलर डूबने की घटनाओं ने ऐसे जोखिमों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

RBI लगातार चेतावनी देता रहा है कि बिना किसी आंतरिक मूल्य और सरकारी गारंटी के ऐसी डिजिटल संपत्तियाँ वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस

इसके विपरीत, RBI का रुख सरकारी समर्थित डिजिटल नवाचारों के प्रति बेहद सकारात्मक है। गवर्नर मल्होत्रा ने याद दिलाया कि UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने दुनिया को डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत की अनोखी क्षमता दिखाई है।

उन्होंने कहा कि डिजिटल लेंडिंग, UPI और अन्य सरकारी-समर्थित तकनीकी पहलों में RBI का रवैया हमेशा सहयोगी और सक्षम बनाने वाला रहा है।

उन्होंने कहा,

UPI या डिजिटल लेंडिंग जैसे डिजिटल नवाचारों के मामले में हमारा रुख बहुत सहयोगी और सक्षम करने वाला रहा है।

क्या आप जानते हैं: ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट में ऑल्टकॉइन्स की तेजी, भारत भी कदमताल करता दिखा

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी

इसी संदर्भ में उन्होंने भारत की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के महत्व पर फिर जोर दिया। पिछले महीने IMF और वर्ल्ड बैंक के एक वैश्विक आयोजन में भी उन्होंने CBDC को निजी क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन्स की तुलना में अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बताया था।

CBDC सरकार द्वारा जारी और नियंत्रित होती है, इसलिए इसके मूल्य और संचालन में अस्थिरता का जोखिम न के बराबर रहता है, जो क्रिप्टोकरेंसी से बिल्कुल विपरीत है।

अंतिम निर्णय सरकार लेगी

भारत में क्रिप्टो के भविष्य को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय सरकार लेगी। 

उन्होंने कहा,

सरकार को अंतिम निर्णय लेना है। पहले एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया था, और वे अंतिम फैसला लेंगे कि हमारे देश में क्रिप्टो को कैसे, अगर बिल्कुल भी, संभाला जाना है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई वैश्विक क्रिप्टो एक्सचेंज भारत में स्थानीय रजिस्ट्रेशन और मनी लॉन्डरिंग रोकथाम कानूनों का पालन करके काम कर रहे हैं। 

सरकार ने क्रिप्टो लाभ पर 30% कर और TDS लागू किया है, जिससे ट्रेडिंग गतिविधि पहले ही काफी धीमी पड़ चुकी है।

आरबीआई की बार-बार की चेतावनियों ने औपचारिक वित्तीय क्षेत्र और क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के बीच लगभग सभी आधिकारिक जुड़ाव खत्म कर दिए हैं।

बैंक क्रिप्टो एक्सचेंजों के साथ सीधे लेनदेन से बचते हैं, जिससे भारतीय निवेशकों की “वैध” ट्रेडिंग गतिविधि लगभग ठप हो चुकी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि RBI का रुख भारत की वित्तीय स्थिरता के परिप्रेक्ष्य से समझने योग्य है। क्रिप्टोकरेंसी की तेज़ कीमत उतार-चढ़ाव, हैकिंग, फर्जी टोकन, और निवेशकों की सुरक्षा की कमी ऐसे कारण हैं जिनके चलते कई देश इनके प्रति सख्त रुख अपना रहे हैं।

वहीं, भारत का मॉडल वित्तीय नवाचारों को प्रोत्साहित करते हुए जोखिमभरी निजी डिजिटल संपत्तियों को सीमित करने पर आधारित दिखता है।

निष्कर्ष

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का ताज़ा बयान यह स्पष्ट करता है कि भारत डिजिटल नवाचार को आगे बढ़ाने के पक्ष में जरूर है, लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन्स को लेकर उसकी चिंताएँ कम नहीं हुई हैं।

UPI से लेकर CBDC तक, भारत सरकारी नियंत्रित सुरक्षित डिजिटल साधनों पर भरोसा रखता है।

अंतिम फैसला चाहे सरकार को लेना हो, लेकिन एक बात साफ है कि भारत एक ऐसी डिजिटल अर्थव्यवस्था चाहता है जो तकनीकी रूप से मजबूत तो हो ही, साथ ही वित्तीय रूप से सुरक्षित भी बनी रहे।


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