नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025 — भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में डिजिटल परिसंपत्तियों की टोकनाइजेशन (डिजिटल टोकन बनाना) की एक पायलट परियोजना शुरू की है, जो देश की वित्तीय व्यवस्था में एक नया मोड़ ला सकती है।
इस पहल का मकसद पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली और डिजिटल संपत्ति के बीच एक सेतु बनाना है।
टोकनाइजेशन क्या है और RBI का प्रयोग
टोकनाइजेशन का अर्थ है किसी वास्तविक या वित्तीय संपत्ति को डिजिटल टोकन के रूप में प्रस्तुत करना, जिसे ब्लॉकचेन या वितरित लेजर टेक्नोलॉजी पर रिकॉर्ड किया जा सकता है।
RBI विशेष रूप से Certificates of Deposit (डिपॉजिट के प्रमाणपत्र) को टोकनाइज करने की योजना पर काम कर रहा है। यह परियोजना RBI के थोक (wholesale) CBDC ढांचे के अंतर्गत चलेगी और कई बैंकों के साथ सहयोग किया जाएगा।
इस तरह की पहल से लेन-देह में तेज़ी, लागत में कमी और सुरक्षा में वृद्धि हो सकती है।
टोकनाइजेशन से संभावित लाभ
इस पहल से निम्न लाभ मिल सकते हैं:
वित्तीय उत्पादों को डिजिटल रूप में अधिक सुलभ बनाना
पारंपरिक और क्रिप्टो लेनदेन का एकीकृत ढांचा तैयार करना
उपभोक्ताओं में विश्वास बढ़ाना क्योंकि RBI द्वारा समर्थित और विनियमित होगा
नए वित्तीय मॉडल और हाइब्रिड सिस्टम का उदय, जहाँ ब्लॉकचेन और पारंपरिक बैंकिंग मिलकर काम करें
RBI की योजना समय के साथ बॉन्ड, प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय उपकरणों को भी टोकनाइज करने की है।
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चुनौतियाँ और जोखिम
हालांकि इस पहल में अवसर हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने हैं:
नियामकीय स्पष्टता की कमी: कानून, पॉलिसी और जिम्मेदारियों का स्पष्ट निर्धारण आवश्यक
स्केलेबिलिटी: यदि बड़े पैमाने पर उपयोग करना हो, तो तकनीकी बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाना होगा
गोपनीयता और डेटा सुरक्षा: उपयोगकर्ता डेटा और लेन-देन जानकारी सुरक्षित रखना अनिवार्य
पारस्परिक संगतता (Cross-border compatibility): भारत और अन्य देशों के वित्तीय प्रणालियों के बीच तालमेल बनाए रखना
यदि इन चुनौतियों को सावधानीपूर्वक संभाला जाए, तो RBI की इस योजना भारत को डिजिटल वित्त के क्षेत्र में अग्रणी बना सकती है।
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निकट भविष्य के कदम
RBI ने पहले ही एक पायलट परियोजना की शुरुआत कर दी है जिसमें कुछ बैंकों को टोकनाइजेशन प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। आगे बढ़ने पर यह परीक्षण यह दिखाएगा कि यह मॉडल व्यावसायिक स्तर पर कितना व्यवहार्य है।
वहीं सरकार और नियामक संस्थाओं को यह देखना होगा कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों को इस पहल में कैसे शामिल किया जाए, ताकि नवाचार और सुरक्षा दोनों संतुलित रह सकें।
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