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Rajeev RRajeev R

यूके में क्रिप्टो को वैधानिक संपत्ति का दर्जा: निवेशकों और बाजार के लिए बड़ा कदम

UK ने Property (Digital Assets etc.) Act 2025 पास कर क्रिप्टो को पर्सनल प्रॉपर्टी मान्यता दी। इससे चोरी, ठगी, दिवालियापन और उत्तराधिकार मामलों में कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

यूके में क्रिप्टो को वैधानिक संपत्ति का दर्जा: निवेशकों और बाजार के लिए बड़ा कदम
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ब्रिटेन - पिछले कुछ सालों में, क्रिप्टो एसेट्स जैसे बिटकॉइन, एथेरियम, NFTs आदि का प्रसार तेज़ हुआ है। हालांकि, इनकी कानूनी स्थिति, ख़ासकर प्रॉपर्टी राइट्स, कई न्यायालयों में विवादित रही। परंपरागत अंग्रेजी कानून में "पर्सनल प्रॉपर्टी" दो प्रकार की मानी जाती थी: भौतिक संपत्ति जैसे कार, सोना आदि। ऋण, शेयर जैसे असम्प्रभु अधिकार। डिजिटल एसेट्स इन दोनों में फिट नहीं होते, इसलिए उनका कानूनी दर्जा अस्पष्ट था। 

अब ब्रिटेन में पारित हुए संपत्ति (डिजिटल एसेट्स आदि) अधिनियम, 2025 (Property (Digital Assets etc.) Act 2025) ने क्रिप्टो सिक्कों, स्टेबलकॉइन्स, NFTs आदि को कानूनी रूप से “पर्सनल प्रॉपर्टी” माना है। इससे डिजिटल एसेट्स धारकों को चोरी, ठगी, दिवालियापन या उत्तराधिकार मामलों में स्पष्ट कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

इस कानून को रॉयल असेंट मिल चुकी है और युगांतरकारी बदलाव को प्रेरित करने के लिए इसे कई विशेषज्ञ “क्रिप्टो लीगलाइज़ेशन” का बड़ा कदम बता रहे हैं। उस असमंजस को दूर करने के लिए, सरकार ने सितंबर 2024 में Law Commission of England and Wales की सिफारिशों पर आधारित बिल पेश किया है, जो क्रिप्टो इन्वेस्टर्स के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

क्या कहता है नया कानून?

नया कानून स्पष्ट करता है कि डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें, चाहे वे क्रिप्टो टोकन हों, स्टेबलकॉइन्स हों या NFTs, पारंपरिक विभाजन से अलग तीसरी श्रेणी के रूप में पर्सनल प्रॉपर्टी हो सकते हैं।

हालाँकि कानून यह तय नहीं करता कि हर डिजिटल एसेट स्वचालित रूप से प्रॉपर्टी बन जाएगा, बल्कि न्यायालय को अधिकार देता है कि वे प्रत्येक एसेट की प्रकृति व गुणों के आधार पर तय करें कि वह प्रॉपर्टी के अंतर्गत आता है या नहीं।

इसके फलस्वरूप, अब क्रिप्टो धारक कानूनी रूप से सुरक्षित हो चुके हैं। उनके एसेट्स चोरी, घोटाले, दिवालियापन या वारिस-विरासत के मामलों में कानूनी रक्षा के दायरे में आएँगे। न्यायालयों और निवेशकों दोनों के लिए पहले से चल रही अस्थिरता अब समाप्त हो गई है।

बाजार और क्रिप्टो इंडस्ट्री पर व्यापक प्रभाव

इस कानूनी स्पष्टता से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा क्योंकि अब क्रिप्टो को पारंपरिक संपत्ति जैसा वैधानिक संरक्षण मिलता है। यह बदलाव नई वित्तीय उत्पादों, जैसे टोकनाइज्ड रियल वर्ल्ड एसेट्स), ऋण व्यवस्था जहाँ क्रिप्टो को गारंटी के रूप में स्वीकारा जा सकता है, और बीमा, वितरण, उत्तराधिकार संबंधी प्रक्रियाओं को सहज बना सकता है।

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साथ ही, इसे देखते हुए सरकार ने व्यापक नियामक रूपरेखा लाने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है, जिससे सेवाएं देने वाले प्लेटफार्म, एक्सचेंज व कस्टडी सेवाओं के लिए भी कानून बनेगे। इस प्रकार, यूके वैश्विक क्रिप्टो हब बनने की अपनी जमीनी तैयारी को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है, जो निवेशकों व संस्थागत खिलाड़ियों दोनों के लिए सकारात्मक संकेत है।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

हालाँकि यह कानून महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे कुछ मुद्दे तुरंत हल नहीं हुए हैं। बिल किसी डिजिटल एसेट को अपने आप प्रॉपर्टी नहीं मानता। यह फैसला न्यायालयों पर निर्भर करेगा, जिससे अदालतों में अभी लंबी कार्यवाही हो सकती है।

विभिन्न प्रकार के डिजिटल एसेट्स, जैसे NFTs, वॉलेट-एड्रेस, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड टोकन की प्रकृति विविध है। इसलिए हर एसेट पर अलग-अलग न्यायिक व्याख्या की जरूरत होगी, जिससे न्यायिक प्रैक्टिस में असमानताएं आ सकती हैं।

नियामक रूपरेखा जैसे टैक्स, रिपोर्टिंग, कस्टडी अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। इसलिए निवेशकों व प्लेटफार्मों के लिए संक्रमण कठिन हो सकता है, जब तक कि पूरी व्यवस्था स्थापित न हो जाए।

भारत का दृष्टिकोण: स्थिति कहाँ तक पहुँची है?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही है, लेकिन यह पूरा दृष्टिकोण अभी भी विकास के दौर में है। 26 अक्टूबर 2025 को मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी संपत्ति के रूप में मानी जा सकती है, जिसे कानूनी अधिकार के तहत रखा, उपयोग किया और ट्रस्ट में रखा जा सकता है।

इससे निवेशकों को कानूनी सुरक्षा मिलना शुरू हुआ है। हालांकि यह निर्णय एक हाई कोर्ट का है, पूरी तरह देशव्यापी कानून बनने में कुछ समय लगेगा। भारत में क्रिप्टो को वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) के रूप में मान्यता मिली हुई है और आयकर कानून के तहत इस पर 30% टैक्स और 1% टीडीएस लागू है। यह प्रणाली 2024-25 के बजट और 2025 के टैक्स नियमों का हिस्सा है।

भारत में क्रिप्टो को पूरी तरह स्पष्ट, एक केंद्रीकृत प्रॉपर्टी की मान्यता तब तक नहीं मिलेगी जब तक संसद द्वारा विशेष कानून पारित नहीं होता। फिलहाल, उच्च न्यायालयों के फैसले, VDA टैक्स ढाँचा और नियामक ड्राफ्ट मिलकर एक सकारात्मक माहौल तैयार कर रहे हैं, जो अगले 1-3 वर्षों में अधिक स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में बदल सकता है।

निष्कर्ष

भारत में क्रिप्टो बैन नहीं है। प्रॉपर्टी-स्टेटस जैसे कोर्ट के निर्णय निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन पूर्ण, देशव्यापी कानून आने में अभी कुछ समय लग सकता है। निवेशकों को वर्तमान में टैक्स नियमों और VDA मान्यता के अनुसार ही आगे बढ़ना चाहिए तथा भविष्य के कानूनों के लिए सतर्क रहना चाहिए।

वहीं यूके द्वारा पारित Property (Digital Assets etc.) Act 2025 क्रिप्टो और डिजिटल एसेट्स के लिए एक नये, स्थिर और कानूनी युग की शुरुआत है। लगातार बदलती तकनीक को पकड़ने में पारंपरिक कानून पीछे रह जाते थे, लेकिन अब यह स्पष्ट हुआ है कि डिजिटल संपत्ति भी वैध प्रॉपर्टी हो सकती है।

फिर भी, यह जरूरी है कि निवेशक व उपयोगकर्ता सावधानी रखें, क्योंकि अदालतों की व्याख्या, नियामक नीतियाँ और निवेश जोखिम अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। इस बदलाव को अधिकतम लाभ में बदलने के लिए समझदारी, सतर्कता और कानून-नियमों की अच्छी जानकारी ज़रूरी होगी।


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