भारत ने अपने क्रिप्टो नियामक ढांचे को और सख्त करते हुए सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों, कस्टोडियनों एवं बिचौलियों के लिए नियमित साइबर सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिया है।
यह कदम डिजिटल परिसंपत्तियों (Virtual Digital Assets) के क्षेत्र में हैकिंग, धोखाधड़ी और प्रणालीगत कमजोरियों से उत्पन्न खतरों को देखते हुए उठाया गया है।
यहाँ यह उल्लेख करना उचित है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में तीव्र गति से विस्तार देखा है। अनुमान है कि 2026 तक देश में करीब 1.23 अरब क्रिप्टो उपयोगकर्ता होंगे।
इस विकास के साथ-साथ धोखाधड़ी, हैकिंग और नकली वॉलेट्स जैसी घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। उदाहरणस्वरूप, एक बड़ी घटना में WazirX एक्सचेंज पर लगभग 230 मिलीयन डॉलर्स का साइबर हमला हुआ था।
इन खतरों को दृष्टिगत रखते हुए, सरकार ने फैसला किया है कि कोई भी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म तब तक नियमित रूप से परिचालन नहीं कर सकेगा जब तक वह प्रमाणित साइबर ऑडिट से नहीं गुजरता।
इस प्रकार, ऑडिट को प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला एक अनिवार्य मापदंड बनाया गया है।
क्या है आदेश
निर्देशानुसार, सभी क्रिप्टो एक्सचेंज, कस्टोडियन तथा बिचौलिए authorised ऑडिट फर्म द्वारा साइबर सुरक्षा ऑडिट कराना अनिवार्य होगा, जो कि CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम) द्वारा मान्यता प्राप्त हो।
ऑडिट रिपोर्ट केंद्रीय प्राधिकरण, संभवतः Financial Intelligence Unit – India (FIU-IND) या Reserve Bank of India (RBI) को प्रस्तुत की जाएगी।
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यदि ऑडिट में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो एक्सचेंज को निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई करनी होगी। यदि आवश्यक सुधार नहीं हुआ, तो लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है, वित्तीय दंड लग सकता है और गंभीर मामलों में आपराधिक दायित्व भी तय हो सकता है।
उद्योग की प्रतिक्रिया
इस कदम को लेकर क्रिप्टो उद्योग के दो तरफा रुख हैं। एक ओर समर्थन करने वालों का मानना है कि इस तरह की सख्त व्यवस्था से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और बाजार में स्थिरता आएगी।
दूसरी ओर आलोचकों का तर्क है कि अनुपालन के लिए लगने वाला समय-और-लागत छोटे प्लेटफॉर्म्स के लिए भारी हो सकता है, जिससे कुछ एक्सचेंज बंद होने के जोखिम में आ सकते हैं।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि आंतरिक ऑडिट से पहले प्लेटफॉर्म्स को अपनी सुरक्षा प्रणालियों का मूल्यांकन करना चाहिए ताकि ऑडिट की तैयारियों को समय से पहले शुरू किया जा सके। इसके आयोजन में कोल्ड वॉलेट, हार्डवेयर सुरक्षा मॉड्यूल, मल्टी-फैक्टर प्रमाणीकरण आदि कुछ आवश्यक घटक होंगे।
वास्तव में यह कदम निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। लेकिन साथ ही यह क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स पर नए प्रकार का नियामक दबाव भी ला रहा है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए समग्र कानूनी ढांचे की अभी तक पूर्ण रूप से स्थापना नहीं हुई है, इसलिए यह नया ऑडिट-आर्डर एक तरह से नियामक अनिश्चितता के बीच उठाया गया उपाय भी माना जा सकता है।
निष्कर्ष
भारत सरकार का यह नया कदम डिजिटल एसेट्स के क्षेत्र में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। उच्च-स्तरीय साइबर सुरक्षा ऑडिट से प्लेटफॉर्म्स के संचालन में पारदर्शिता आएगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, और धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी।
फिर भी, क्रिप्टो एक्सचेंजों को इस नए नियम के अनुरूप अपना ढांचा समय से बदलना होगा और यह बदलाव छोटा नहीं होगा। भारत में क्रिप्टोकरेंसी उद्योग जहाँ तेजी से विकसित हो रहा है, वहीं उसे सुरक्षा और विश्वास के सफर को भी मजबूती से तय करना होगा।
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