हाल ही में आयोजित भारत ब्लॉकचेन सप्ताह (India Blockchain Week) में भारत के बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों का कहना रहा कि सरकार के लिए फिलहाल क्रिप्टो नियम बनाना प्राथमिकता नहीं है। CoinSwitch के सह-संस्थापक अशिष सिंघल ने स्पष्ट किया कि “सरकार को जल्दी नियम बनाने के लिए, ये इंडस्ट्री बहुत, बहुत बड़ी होनी चाहिए।” 

वहीं Binance के एशिया-प्रशांत प्रमुख एसबी सेकर ने कहा कि भले ही भारत उपभोक्ताओं के हिसाब से क्रिप्टो अपनाने में अग्रणी रहा हो, लेकिन डेवलपर और वेब3 इकोसिस्टम अभी उन APAC देशों, जैसे जापान, दक्षिण कोरिया, UAE, जैसा परिपक्व नहीं हुआ है।

उनका कहना है कि जब आम उपयोगकर्ता-केंद्रित दैनिक वेब3 उपयोग जैसे भुगतान, पहचान, डिजिटल एसेट आदि बनेगा, तभी यह इंडस्ट्री सरकार के लिए “राष्ट्रीय दृष्टिकोण” की तरह सामने आ सकेगी।

घरेलू वेंचर कैपिटल का समर्थन अभी सीमित

2025 की रिपोर्ट के अनुसार, पहले 10 महीनों में भारत की वेब3 स्टार्टअप्स ने 45 डील के जरिए लगभग US$ 653 मिलियन जुटाए। यह धन अधिकांशतः अंतरराष्ट्रीय वेंचर फंड्स या स्थापित क्रिप्टो कंपनियों से आया, न कि स्थानीय सक्रिय VC फर्मों से।

जैसे CoinDCX और CoinSwitch ने खुद वेब3-फोकस्ड फंड्स बनाई हैं और दसियों स्टार्टअप्स में निवेश किया है। लेकिन एक पूर्व CoinDCX अधिकारी ने स्वीकार किया कि 2018 में शुरुआती दौर में एक करोड़ रुपये जुटाना भी मुश्किल था। तब उनकी वैल्यूएशन बहुत कम थी।

इसका मतलब यह है कि भले ही “पिकअप” दिख रहा हो, लेकिन इंडस्ट्री की बुनियाद अभी पूरी तरह मजबूती नहीं पकड़ पाई है।

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जोखिम, सुरक्षा और नियामकीय अनिश्चितता

कुछ अन्य हालिया घटनाओं ने नियामकों की सावधानी को आसान बनाया है। उदाहरण के लिए, 2025 में भारत की FIU-IND (फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) ने 25 ऑफशोर क्रिप्टो एक्सचेंजों को नोटिस भेजा और गैर-पंजीकृत प्लेटफार्मों के ऐप, वेबसाइट्स को हटाने का आदेश दिया।

क्योंकि क्रिप्टो एक्सचेंजों में मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स इवैज़न, डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा से जुड़े बड़े खतरे हैं। सरकार और नियामक निकाय इन पहलुओं को आज़माए बिना नियम बनाने में सहज नहीं दिख रहे। कई विशेषज्ञ इस दृष्टिकोण को “मध्यम रास्ता” बता रहे हैं, जहाँ टैक्स और रिपोर्टिंग रहेंगे, लेकिन कानूनी मान्यता व पूर्ण नियमन फिलहाल नहीं मिलेगा।

क्या भारत का क्रिप्टो उद्योग बड़ा बन सकता है?

कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि भले ही शुरुआत धीमी रही हो, भारत में क्रिप्टो और वेब3 मार्केट समय के साथ तेज़ी पकड़ सकता है। एक रिपोर्ट का कहना है कि 2035 तक भारत का क्रिप्टो बाजार लगभग US$ 15 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है, बशर्ते नियम-व्यवस्था व समझदारी भरा विकास हो।

इसके अलावा, जैसे-जैसे नई स्टेबलकॉइन, टोकनाइजेशन, ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार पाएंगे, रोज़मर्रा के उपयोग में क्रिप्टो व वेब3 के रीयल-लाइफ केस बनेंगे, जिससे नियमन के लिए दबाव बढ़ सकता है।

एक बड़ी समस्या है प्रतिभाशाली टेक पेशेवरों और स्टार्टअपर्स का विदेश पलायन। कई उद्यमी व डेवलपर्स कह रहे हैं कि अस्पष्ट नियमों की वजह से भारत में काम करना मुश्किल हो गया है। इससे भारत की वेब3 क्रांति धीमी पड़ेगी, क्योंकि दुनिया की प्रतिस्पर्धा तेज़ है और कई देशों ने सुरक्षित, नियमन-युक्त वातावरण प्रदान करना शुरू कर दिया है।

निष्कर्ष

भारत में क्रिप्टो और वेब3 उद्योग अभी अपने आरंभिक चरण में है। निवेश, टेक्नोलॉजी व उपयोगिता के मामले में विकास हो रहा है, मगर यह सरकार की नियमन प्राथमिकता के लिए पर्याप्त नहीं माना जा रहा। बड़े एक्सचेंजों द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि सिर्फ ट्रेडिंग व वॉल्यूम से काम नहीं चलेगा। असली बदलाव तभी होगा जब ब्लॉकचेन आधारित वह सेवाएँ आएँगी, जो रोजमर्रा की ज़िंदगी सुधारें।

वहीं, नियामक सावधानी, सुरक्षा चिंताएं और विदेशी एक्सचेंजों के साथ भारत में अनुपालन संबंधी कार्रवाइयाँ यह दर्शाती हैं कि सरकार इस उद्योग को जल्दबाज़ी में नियमित नहीं करना चाहेगी। अगर भारत भविष्य में क्रिप्टो को वित्तीय और डिजिटल अवसंरचना का हिस्सा बनाना चाहता है, तो क्षेत्र को सुरक्षित, पारदर्शी और उपयोग-केन्द्रित बनाना होगा। तब शायद इस “छोटे” उद्योग को सरकार की नियमन प्राथमिकता मिल सके।


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