नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज Binance की मदद से भारत के सबसे बड़े डार्कनेट ड्रग गिरोह Ketamelon का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह एडिसन बाबू नाम के एक इंजीनियर द्वारा चलाया जा रहा था, जो डार्कनेट पर "Ketamelon" नाम से मशहूर था।

ऑपरेशन की शुरुआत

जांच की शुरुआत जून 2024 में हुई, जब कोच्चि से LSD से भरे कई डाक पार्सल जब्त किए गए। इन पार्सलों ने अधिकारियों को एक बड़े नेटवर्क तक पहुँचाया। अगले ही दिन बाबू के घर पर छापा मारा गया, जहाँ से बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ और डिजिटल सबूत बरामद हुए। जांचकर्ताओं को 1,127 LSD ब्लॉट्स, 131 ग्राम केटामाइन और लगभग 70 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी मिली। उसके पास कई क्रिप्टो वॉलेट और एक हार्डवेयर वॉलेट भी था।

नेटवर्क का विस्तार

Ketamelon का नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ था। केवल 14 महीनों में इस गिरोह ने 600 से अधिक शिपमेंट भेजे। इनकी सप्लाई चेन बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, भोपाल और पटना जैसे बड़े शहरों से लेकर हिमाचल और उत्तराखंड जैसे दूरदराज के इलाकों तक पहुँच चुकी थी। ड्रग्स की सप्लाई ब्रिटेन के "Gunga Din" नामक सप्लायर से होती थी, जो दुनिया के सबसे बड़े LSD डीलर "Dr Seuss" से जुड़ा माना जाता है।

उच्च स्तर का ऑपरेशन

एनसीबी के अनुसार, Ketamelon भारत का इकलौता Level-4 darknet vendor था। इसका मतलब है कि यह गिरोह न केवल उच्च गुणवत्ता वाले ड्रग्स सप्लाई करता था, बल्कि इसकी डिलीवरी और सुरक्षा प्रणाली भी बेहद उन्नत थी। अनुमान लगाया गया कि जब्त की गई ड्रग्स की कीमत करीब 35 लाख रुपये थी, जबकि वास्तविक कारोबार इससे कहीं बड़ा था।

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Binance की मदद

इस मामले को सुलझाने में Binance की भूमिका अहम रही। एक्सचेंज की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस टीम ने लेन-देन को ट्रैक किया और संदिग्ध वॉलेट्स की पहचान की। कई खातों में रखी गई रकम को फ्रीज़ भी किया गया। इससे यह साबित हुआ कि क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह गुमनाम नहीं है और सही तकनीक से इसका गलत इस्तेमाल रोका जा सकता है।

क्यों है यह मामला अहम

Ketamelon का पर्दाफाश दिखाता है कि डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अपराधी कितने संगठित तरीके से कर सकते हैं। इससे पहले 2023 में एनसीबी ने “Zambada” नामक LSD गिरोह को पकड़ा था, लेकिन Ketamelon उससे कहीं ज्यादा बड़ा और एडवांस्ड नेटवर्क था।

निष्कर्ष

यह केस भारत में डार्कनेट अपराधों के खिलाफ सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। इसने साफ कर दिया कि डिजिटल युग में अपराधियों को पकड़ने के लिए डिजिटल टूल्स और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी हैं। Ketamelon गिरोह का अंत यह भी दिखाता है कि टेक्नोलॉजी अपराध करने के साथ-साथ अपराध रोकने का सबसे सशक्त हथियार भी बन सकती है।


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