क्रिप्टोकरेंसी अब सिर्फ चर्चा की चीज़ नहीं रह गयी है। भारत में सरकार ने इसे “Virtual Digital Asset” यानी VDA के नाम से टैक्स कानून में शामिल किया है। यहाँ मैं बहुत ही सरल और स्पष्ट भाषा में बताऊँगा कि कौन क्या, कब और कैसे भरता है। अगर आप ट्रेडर, होल्डर या सिर्फ एक्सचेंज यूज़र हैं तो यह लेख आपके लिए है।
1) क्रिप्टो को कानून में कैसे परिभाषित किया गया है
क्रिप्टो और NFT जैसी चीज़ों को अब Income Tax Act में Virtual Digital Assets कहा जाता है। यह परिभाषा टेक्स्ट/कोड/टोकन आदि को भी कवर करती है। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टो पर अब स्पेशल नियम लागू होते हैं, और यह आम नोट या बैंक बैलेंस नहीं माना जाता।
2) टैक्स की मुख्य हकीकत: 30% फ्लैट टैक्स
यदि आप कोई VDA बेचते हैं और उस पर प्रॉफिट होता है तो उस प्रॉफिट पर 30% की दर से टैक्स लगेगा। यह दर होल्डिंग पीरियड से प्रभावित नहीं होती। यानी चाहे आप 1 दिन के लिए रखें या 3 साल, टैक्स रेट एक जैसा है। इस पर सामान्य सावधानियाँ जैसे 4% Health and Education cess और संभवतः सलेक्टेड सरचार्ज लागू होते हैं।
सरल उदाहरण
आपने क्रिप्टो ₹1,00,000 में खरीदा।
उसे बाद में ₹1,50,000 में बेचा।
आपका प्रॉफिट = ₹50,000।
टैक्स = 30% of ₹50,000 = ₹15,000। (इसके ऊपर cess भी लगेगा)।
3) कटौती, नुकसान और सेट-ऑफ की बड़ी सीमाएँ
क्रिप्टो के प्रॉफिट पर आप खर्च, ट्रेडिंग फीस, या किसी अन्य खर्च की कटौती सामान्य तरीके से नहीं कर पाएँगे। मुख्य बातें:
केवल acquisition cost (खरीद की कीमत) घटाई जा सकती है।
क्रिप्टो के नुकसान को आप अपनी किसी दूसरी इनकम से set off नहीं कर सकते।
आप इन नुकसान को अगले साल कैर्री फॉरवर्ड भी नहीं कर पाएँगे। यह नियम टैक्स को सरल बनाने और इविजिलेंस रोकने के लिए लाये गये हैं।
क्या आप जानते हैं — पांच देश जहां क्रिप्टो पर नहीं लगता कोई टैक्स!
4) TDS यानी स्रोत पर कटौती: 1% का नियम
जब भी कोई VDA का ट्रांसफर होता है, तो आमतौर पर खरीदार को 1% TDS काटना पड़ता है अगर वित्तीय वर्ष में कुल भुगतान एक तय सीमा से ऊपर हो। मुख्य thresholds:
सामान्य व्यक्ति के लिए सालाना aggregate consideration ₹10,000 से ऊपर होने पर TDS लगेगा।
कुछ "specified persons" (छोटी फर्म/व्यवसाय वाले) के मामले में threshold ₹50,000 रखा गया है। TDS का उद्देश्य ट्रांजैक्शन का ट्रेल बनाना और टैक्स संग्रह को आसान बनाना है। एक्सचेंज अक्सर यह काम ऑटोमेटिक कर देते हैं।
5) GST और एक्सचेंज फीस
क्रिप्टो एक्सचेंज अपनी सर्विस फीस पर GST वसूलते हैं। सरकार ने प्लेटफॉर्म फीस पर आमतौर पर 18% GST की व्याख्या की है। इसका मतलब यह है कि जब आप किसी एक्सचेंज से ट्रेड करते हैं और वह चार्ज लेता है, तो उस चार्ज पर GST भी जोड़ा जा सकता है।
6) रियल-वर्ल्ड असर और एन्फोर्समेंट
इन नियमों के चलते टैक्स विभाग की निगरानी हाई हुई है। कई ट्रेडर्स और प्लेटफार्मों पर जांचें और नोटिस भेजे जाने की खबरें आ रही हैं जहाँ लोग अपने क्रिप्टो-प्रॉफिट को डिक्लेयर नहीं कर रहे थे। इसलिए compliance ध्यान से रखना जरूरी है।
क्या आप जानते हैं — भारत में क्रिप्टो अपनाने की तेज़ लहर, क्या बनेगा ग्लोबल हब?
7) आसान, कदम-दर-कदम अनुपालन चेकलिस्ट
ट्रेड-रिकॉर्ड रखें: खरीद-बिक्री की तारीख, मात्रा, खरीद- और बिक्री-कीमत, फीस, Txn id सब सेव करें।
प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए profit/loss निकालें: Sale price minus acquisition cost = gain/loss। (ध्यान दें: सिर्फ acquisition ही कटता है)।
TDS चेक करें: एक्सचेंज द्वारा काटा गया TDS Form 26AS में दिखे या नहीं, यह सुनिश्चित करें। अगर कमी रही तो self-assessmentTax देनी पड़ सकती है।
ITR में सही हैडिंग: VDA से मिलने वाली आय को ITR में बतायें और 30% के हिसाब से टैक्स दर्शायें।
नुकसान का क्लेम मत करें: सोचकर भी दूसरे इनकम से loss set-off न दिखाएं। कानून ऐसा मानता ही नहीं।
8) अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
क्या मैं अपने क्रिप्टो नुकसान को इनकम-टैक्स से घटा सकता हूँ?
नहीं। VDA के नुकसान को आप किसी और इनकम से set off नहीं कर सकते और न ही अगले साल carry forward कर सकते हैं।
क्या स्टेकिंग, airdrops या mining पर भी यही नियम लागू होते हैं?
ऐसी आय अलग तरह से टैक्सेबल हो सकती है और उसे सामान्य slab दरों पर टैक्स के रूप में देखना पड़ सकता है। पर यदि वे transfer के रूप में आते हैं तो 115BBH के दायरे में आ सकते हैं। विशेषज्ञ से केस-बाय-केस सलाह लें।
क्या एक्सचेंज अपने आप टीडीएस काटते हैं?
अधिकांश बड़े एक्सचेंज्स TDS के नियम पालन करने के लिए सिस्टम तैयार रखते हैं। फिर भी अपनी Form 26AS और ITR में जाँच जरूरी है।
9) निचोड़ — क्या सबसे important बात है?
सरल भाषा में: अगर आप क्रिप्टो बेचकर पैसा कमाते हैं तो उस प्रॉफिट पर 30% टैक्स देना होगा। नुकसान के हक़ में राहत बहुत कम है। और छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन पर भी 1% TDS कट सकता है जिससे टैक्स अधिकारियों के पास ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड बने रहता है। गवर्नेंस और इन्फोर्मेशन-शेयरिंग अब बहुत मजबूत है, इसलिए compliance से बचने का कोई shortcut नहीं है।
10) अगर आप कंटेंट राइटर हो तो यह angle useful होगा
बताइये कि नियम कब लागू हुए और क्यों। (Budget 2022, effective 1 April 2023)।
एक छोटी रिपोर्ट दिखाइये: typical user case study और कितनी tax liability बनी।
compliance tips और tools की लिस्ट दें: exchanges, crypto-tax software, CA की सलाह।
निष्कर्ष
भारत का क्रिप्टो टैक्स सिस्टम सुनने में भले ही जटिल लगे, लेकिन इसकी मूल बात बेहद साफ़ है — हर क्रिप्टो प्रॉफिट पर 30% टैक्स और ट्रांजैक्शन पर 1% TDS। नुकसान की राहत लगभग न के बराबर है, इसलिए सही रिकॉर्ड रखना और समय पर टैक्स भरना बेहद ज़रूरी है। सरकार का मक़सद पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाना है, ताकि क्रिप्टो इकोसिस्टम ज़िम्मेदारी के साथ आगे बढ़ सके।
अगर आप निवेशक या ट्रेडर हैं तो इन नियमों को समझकर ही रणनीति बनाएँ, तभी आपका क्रिप्टो सफर सुरक्षित और तनाव-रहित रहेगा।
ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!
और पढ़ें — भारत में क्रिप्टो कर: 2025 में ट्रेडर्स को क्या जानना चाहिए